निर्यात को सीमित करने के केंद्र के फैसले से महाराष्ट्र की चीनी अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा: उद्योग विशेषज्ञ

पुणे: चीनी उद्योग के विशेषज्ञों दावा कर रहे है की, भले ही राज्य ने इस साल रिकॉर्ड गन्ना उत्पादन दर्ज किया है और चीनी मिलें अभी भी शेष गन्ने की पेराई कर रही हैं, लेकिन फिर भी चीनी के निर्यात को सीमित करने के केंद्र सरकार के फैसले से महाराष्ट्र की चीनी अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। महाराष्ट्र चीनी आयुक्तालय के अनुसार, राज्य ने अब तक 146 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में एक सर्वकालिक उच्च और 25% अधिक है। महाराष्ट्र ने चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश (यूपी) को मात दे दी है।

चीनी व्यापार से जुड़े लोगों ने कहा कि, चीनी के निर्यात को नियमित करने के केंद्र के फैसले से चीनी उद्योग और किसानों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन उपभोक्ताओं को मुद्रास्फीति से राहत मिलेगी। यदि चीनी के निर्यात को सीमित करने का निर्णय नहीं लिया गया होता, तो चीनी की घरेलू कीमत बढ़ जाती। केंद्र सरकार ने चीनी की घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता को बनाए रखने के लिए 100 लाख टन तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है।

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, केंद्र द्वारा लिया गया निर्णय अपेक्षित था। इससे पहले 2016 में सरकार ने ऐसे कदम उठाए थे। यदि सरकार चीनी निर्यात को नियमित करने का निर्णय नहीं लेती, तो निश्चित रूप से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें बढ़ जाती, जो बदले में मुद्रास्फीति में वृद्धि करतीं।

नाइकनवरे के अनुसार, सरकार चीनी के निर्यात को नियमित करने के लिए आगे बढ़ रही है, मिलों के स्तर पर चीनी की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है जो सामान्य है। अगले कुछ दिनों में कीमतों में सुधार होगा। अगर व्यापारियों को घरेलू बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, तो वे भी स्थानीय बाजार में बेचना पसंद करेंगे। जल्द ही नया पेराई सत्र शुरू होगा। केंद्र सरकार नए सत्र के बाद अपनी नीति पर पुनर्विचार करेगी।

महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा, इस फैसले से कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। निर्यात के लिए जिन भी चीनी अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए थे, उन्हें पहले ही क्रियान्वित किया जा चुका है। जो लोग पारगमन में हैं वे अनुमति के लिए आवेदन करेंगे। सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से घरेलू चीनी की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद करेगा। पहली बार भारत ने उत्पादन में ब्राजील को पछाड़कर विश्व चीनी बाजार में अपना दबदबा दिखाया है। लेकिन भविष्य में हमें जैव ईंधन पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी। इस साल रिकॉर्ड चीनी निर्यात को देखते हुए केंद्र का फैसला लिया गया है।

वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स असोसिएशन (WISMA) के अध्यक्ष बी.बी. ठोंबरे ने भी कहा की सरकार के इस फैसले का चीनी मिलों के राजस्व पर कोई नकारात्मक असर नहीं होगा, और मिलें किसानों का भुगतान भी समय पर कर सकती है।

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