कोल्हापूर : चीनी मंडी
घरेलू और आंतरराष्ट्रीय बाज़ार में चीनी दाम के लगातार गिरने की वजह से देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक बचा है, इसकी वजह से चीनी मिलें आर्थिक तंगी का सामना कर रही है और कई चीनी मिलें तो किसानों का भी भुगतान करने में नाकामयाब साबित हुई है. इस समस्या से निपटने के लिए इस साल कमसे कम ८० लाख टन चीनी की निर्यात होनी जरुरी है | इसके लिए भारत सरकार से गुहार लगाने का फैसला कोल्हापूर-सांगली जिल्हे के चीनी मिल प्रतिनिधी और आयात – निर्यात कॉर्पोरेशन के प्रतिनिधी के बैठक में लिया गया |
चीनी को इस साल प्रति क्विंटल २९०० रूपय न्यूनतम भाव तय किया था, फिर भी चीनी की पर्याप्त बिक्री नही हुई है, केवल महाराष्ट्र की बात की जाए तो राज्य इस वक्त ७५ लाख टन चीनी गोदामों में पड़ी है. इस साल अगर फिर से व्हाइट शुगर (पक्की चीनी) ही प्रोडक्शन हुआ तो फिर कमसे कम १५० लाख टन चीनी अतिरिक्त होने का खतरा बना हुआ है. यह खतरा देखते हुए इस साल क्रशिंग सीजन के शुरुवात से ही सरकार से कच्ची चीनी निर्यात की परमिशन पाने के लिए सरकार के पास जाने का फैसला लिया गया, इस बैठक में आयात – निर्यात कॉर्पोरेशन के राजेश मिश्रा और विश्वनाथ ये दो प्रतिनिधियों ने शिरकत की थी.
भारत का हिस्सा १० %
विश्वभर से निर्यात होने वाली चीनी में से कुल ७५ % कच्ची और २५ % रिफ़ाइन्ड (पक्की) ती है, इसमें भारत की चीनी का हिस्सा केवल १० % है, आंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ब्राजील की चीनी आने से पहले सरकार को कच्ची निर्यात के के लिए कदम उठाने चाहिए, नहीं तो भारत की चीनी को कोई ग्राहक नहीं मिलेगा, कच्ची चीनी निर्यात से चीनी मिलों को घाटा भी होने की आशंका इस बैठक में जताई गई |
कोल्हापूर-सांगली जिल्हे के चीनी अध्यक्षों की कल बैठक
अतिरिक्त चीनी स्टॉक का धोका और कच्ची चीनी निर्यात की अहमियत चीनी मिलों के अध्यक्ष कों समझाने के लिए १६ अगस्त को कोल्हापूर-सांगली जिल्हे के चीनी अध्यक्षों की अहम बैठक होनेवाली है. ताकि वो भी सरकार से कच्ची चीनी निर्यात के मांग के लिए दबाव बना सके |