खराब मौसम के कारण पिछले 50 वर्षों में 4.3 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization/WMO) ने सोमवार को कहा कि 20 लाख से अधिक मौतें और 4.3 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान यह मानव निर्मित ग्लोबल वार्मिंग से हुई घटनाओ का प्रभाव है।

WMO के अनुसार, मौसम, जलवायु और पानी से संबंधित खतरों ने 1970 और 2021 के बीच यानि इन 50 वर्षों में 12,000 के करीब घटनाये सामने आई है। जलवायु के झटकों और चरम मौसम से 60 प्रतिशत आर्थिक नुकसान हुआ।

WMO ने सोमवार को स्विट्जरलैंड के जिनेवा में शुरू हुई चतुष्कोणीय विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस के लिए नए निष्कर्ष जारी किए हैं। WMO ने कहा कि, कम से कम विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील देशों को उनकी अर्थव्यवस्थाओं के आकार के संबंध में “अनुपातिक रूप से” उच्च लागत का सामना करना पड़ा।

WMO के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा, “दुर्भाग्य से सबसे कमजोर समुदाय मौसम, जलवायु और पानी से संबंधित खतरों का खामियाजा भुगतते हैं।” उन्होंने यह भी जानकारी दी की कम से कम विकसित देशों में, पिछली आधी सदी में कई आपदाओं के कारण सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 30 प्रतिशत तक का आर्थिक नुकसान हुआ है। छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों में, पाँच में से एक आपदा का GDP के “पाँच प्रतिशत से अधिक के बराबर” होता है, जिसमें कुछ आपदाएँ देशों के संपूर्ण सकल घरेलू उत्पाद को नष्ट कर देती हैं।

पिछले 50 वर्षों में चरम मौसम, जलवायु और पानी से संबंधित घटनाओं के कारण एशिया में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जिसमें करीब 10 लाख मौतें हुईं। जिसमे सबसे ज्यादा मौतें बांग्लादेश में हुई है।

WMO ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका में, 733,585 मौतों जलवायु आपदा सुई है। जिसमे से 95 प्रतिशत मौत सूखे के कारण हुई हैं।

पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि 2027 के अंत तक पूरी दुनिया में सभी प्रारंभिक चेतावनी सेवाएं पहुंचें। जिसे संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पिछले वर्ष नवंबर में शर्म अल-शेख में COP27 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में लॉन्च किया था।

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