नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) किसान कर्ज माफी को लेकर छिड़ी बहस में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के भारत में निदेशक केनिची योकोयामा ने भी अपनी बात रखी है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि किसानों का कर्ज माफ करना आर्थिक सिद्धांतों के खिलाफ है। इससे कृषि क्षेत्र की समस्याओं से प्रभावी ढंग से नहीं निपटा जा सकता है।
योकोयामा ने लक्षित लाभार्थियों को धन के सीधे पूंजी हस्तांतरण की वकालत की है क्योंकि इससे धन के हेर फेर में कमी आयेगी।
कृषि ऋण माफी के बारे में उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग आर्थिक सिद्धांत के तौर पर इसको लेकर संदेह करते हैं और इसमें नैतिक समस्यायें हैं।
उन्होंने कहा, “कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने की आवश्यकता है … लेकिन आर्थिक सिद्धांत के अनुसार, कृषि संकट को दूर करने के लिए ऋण माफी प्रभावी उपाय नहीं है।”
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में लगभग 1.47 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण बकाया हैं। इन राज्यों ने हाल ही में कृषि कर्ज माफी की घोषणा की है।
इस तथ्य की सराहना करते हुए कि भारत के पास प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्रदान करने के लिए आधार संख्या जैसा एक मंच है, योकोयामा ने कहा कि सरकार को इस बात पर विश्लेषण करना होगा कि सरकार सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) योजना को सबसे कुशल तरीके से कैसे शुरु कर सकती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या राजकोषीय घाटे पर दबाव है, योकोयामा ने कहा कि एडीबी को सरकार द्वारा लक्ष्य पूरा करने के बारे में कोई संदेह नहीं है।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि एक स्पष्ट ढांचा बना हुआ है तथा राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत इसका जनादेश हैं। हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं है।”
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 3.3 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा है जो वर्ष 2017-18 के 3.5 प्रतिशत से कम है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले महीने ही चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य 3.3 प्रतिशत को हासिल करने का भरोसा जताया है।
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