इस साल गन्ने की बंपर पैदावार की उम्मीद लगाए किसानों को अभी से गन्ना मिलों ने झटका देना शुरु कर दिया है। उत्तर प्रदेश की प्रमुख वेव शुगर ने नोटिस देकर मिल चलाने में असमर्थता जाहिर की है। लेकिन विडंबना यह है कि हर बार कोर्ट जाकर द शुगर अंडरटेकिंगस(अंडरटेकिंग ऑफ मैनेजमेंट) एक्ट 1978 की दुहाई देकर मिल मालिकों पर दबाव बनाकर मिल चलवाने वाले किसान अब बेबस हो गए हैं। क्योंकि केंद्र सरकार ने 15 मार्च 2015 को संसद के बजट सेशन में 27 बिलों के साथ द शुगर अंडरटेकिंगस एक्ट 1978 को किसी काम का नहीं मानकर खत्म कर दिया।
अंडर टेकिंग और मैनेजमेंट एक्ट 1978 में केंद्र सरकार के पास साफ तौर पर मिल न चलाने की स्थित में सरकार के पास मिल के अधिग्रहण का अख्तियार था। ऐसे में मिल का सारा प्रबंधन सरकार के मातहत हो जाएगा। इस कानून को खारिज करने के बाद निजी चीनी मिलों को बंद न करने के लिए सरकार के पास कोई कानूनी जरिया नहीं बचा।
मिलों की मनमानी अब शुरू होने की वजह है पिछले दो साल से कोर्ट की पैरवी और मिलों को सरकार से लगातार पैसा मिलता रहा, इसलिए मिल प्रबंधन की नहीं चली। इस साल उत्तर प्रदेश की दो मिलों ने प्रमुख सचिव शुगर केन और कमीश्नर शुगर केन को चिट्टी लिखकर मिल चलाने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
इस समय 23 सहकारी 1 कॉपरेटिव और 99 प्राइवेट मिले हैं। पिछले 15 सालों में साढ़े तीन लाख गन्ना किसान येन-केन प्रकारेण आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसे में अभी सीजन शुरु भी नहीं हुआ है। समस्या मुंह बाए खड़ी हो रही है। किसान नेता वीएम सिंह के कहते हैं 2013 में 95 में से 68 मिलों ने इस तरह से पत्र लिखकर मिल चलाने से असमर्थता जारी की थी।
अब फिर से शुरुआत हो गई है। तब किसान नवंबर में कोर्ट गए उस समय पीएम और यूपी के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा था। इसके बाद दिसंबर तक मिल चल पायी। इस बार किसानों के चेहरे अभी अच्छी पैदावार की आस में खिले हैं लेकिन मिलों के नोटिस देने की शुरुआत ने उन्हें परेशान कर दिया है।
सिंह कहते हैं सरकार को अभी से बात करनी होगी ताकि पैदावार के हिसाब से समय से मिले चल सके। 2018 में 22 हजार करोड़ बकाया है। कर्जों ने पहले ही किसान की कमर तोड़ रखी है। उस पर अभी से मिलों के रवैये ने किसानों के भविष्य पर ही सवालिया निशान लगा दिया है।
वेब शुगर मिल बिजनौर और पीबीएस शुगर मिल चांदपुर बिजनौर ने नोटिस जारी कर माली हालत का हवाला देकर मिल चलाने में असमर्थता जाहिर कर दी है। ऐसे में किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है कि वह हर बार की तरह इस बार किस आधार पर कोर्ट जाए।
वेब शुगर मिल प्रबंधन ने खराब माली हालात का हवाला दिया है। पत्र में बताया है कि अमरोहा बिजनौर, बुलंदशहर और सहारनपुर की मिलों की आथक स्थिति काफी खराब हो गई है। प्रबंधन ने तर्क दिया है, कोर्ट में लंबित वादों और मिलों में प्रबंधन और उत्पादन में मोटी रकम लगने के कारण उनकी हालात खस्ता हो गई है।
कंपनी ने अमरोहा मिल पर अब तक 2069.00 करोड़ बिजनौर मिल 63.14 करोड़ रुपये सहारनपुर मिल पर 4671 करोड़ और बुलंदशहर स्थित मिल पर 3405 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उपनिदेशक शुगरकेन उत्तर प्रदेश हरपाल सिंह का कहना है कि हम मिलों की निगेहबानी कर रहे हैं। किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कोर्ट का रास्ता बंद होना दुर्भाग्यपूर्ण है, बाकि किसानों को मिल चलवाने के लिए और रास्ते अपनाने होंगे। मिल नहीं चलीं तो डीएम के यहां गन्ना डाल देंगे। सरकार भुगतान करेगी। गन्ना किसान तिल तिल कर मरने को विवश है। सरकार कान में तेल डालकर बैठी है।
अब हम पंचायत करने जा रहेहैं। मिल मालिकों के चीन मिलों की कमाई से जो अन्य उद्योग चल रहे हैं। अब उन्हें ही बंद करना होगा। हम बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।