रुडकी: किसान गन्ने की उपज बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक खेती पर अधिक ध्यान दें। खेती में उन्नत प्रजाति के बीज और नई टेक्नोलोजी का इस्तेमाल करें। कीट और रोग वाले गन्नों से बचें। इशके अलावा, गन्ने की सूखी पत्तियों को न जलाएं। इसका उपयोग कंपोस्ट खाद के लिए करें। उत्तराखंड के काशीपुर स्थित गन्ना किसान संस्थान द्वारा मदारपुर गांव में आयोजित संगोष्ठी में यह बात कही गई। संगोष्ठी में भारी संख्या में गन्ना उगाने वाले किसान, चीनी उद्योग के विशेषज्ञ, गन्ना विकास अधिकारी और चीनी मिल के कर्मचारी उपस्थित थे।
संगोष्ठी में उपस्थित हरिद्वार के गन्ना विकास निरीक्षक बीके चौधरी ने किसानों को गन्ना विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी। चौधरी ने गन्ना किसानों के समस्याओं को सुना और उसके समाधान का आश्वासन दिया। एक अन्य वक्ता गन्ना संस्थान के सहायक निदेशक डॉ. रजनीश सिंह ने गन्ने में लगने वाले रोगों से किसानों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि किसानों को कीट और रोग वाले गन्ने बोनो से बचना चाहिए। सिंह ने पत्तियों के जलाने से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पत्तियों को जलाने के बजाय किसानों को इस कंपोस्ट खाद के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
गन्ना विशेषज्ञ और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आईपीएस मलिक ने गन्ने की बुआई में नई ट्रैंच प्रक्रिया इस्तेमाल करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे गन्ने की फसल में प्रति हेक्टर इजाफा होगा। उन्होंने किसानों को निर्देश दिया कि वे गन्ने की बुआई समय से करें। देर से बुआई करने पर फसल कमजोर हो सकती है। संगोष्ठी में चीनी मिल के प्रतिनिधि राहुल कुमार भी उपस्थित थे। कुमार ने किसानों को चीनी मिलों में उपलब्ध किसानों के लिए सुविधाओं पर प्रकाश डाला औऱ कहा कि गन्ना किसान इसका भरपूर लाभ ले सकते हैं।