काठमांडू: गन्ना किसान संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है की, यदि सरकार और मिल मालिकों ने 5 अगस्त तक 40 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया तो वह आंदोलन शुरू करेंगें। लंबित बकाये के चलते सरलाही, नवलपरासी (पूर्व), नवलपरासी (पश्चिम) और रौतहाट के किसान बुरी तरह प्रभावित हुए है।
बकाया गन्ना भुगतान का असर देश में गन्ना उत्पादन पर भी पड़ रहा है। किसानों का कहना है की भुगतान समय से नहीं मिलने पर किसान अब गन्ना खेती से मुँह मोड़ रहे है और दूसरे फसल की तरफ जा रहे है।
नेपाल के द हिमालयन टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक गन्ना किसान संघर्ष समिति के समन्वयक राकेश मिश्रा के बताया की, कुछ जिलों के किसानों को पिछले चार वर्षों में बेचे गए गन्ने का भुगतान नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि, सरकार ने किसानों को 65 रुपये प्रति क्विंटल प्रदान किया था और चीनी मिलों को 471 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करना था, जिसका अर्थ है कि गन्ना किसानों को मिल मालिकों से 536 रुपये प्रति क्विंटल मिलना चाहिए था, लेकिन उन्हें केवल 500 रुपये प्रति क्विंटल मिला।
मिश्रा ने कहा कि, मिल मालिकों ने झूठा दावा किया कि गन्ना किसान केवल 500 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त करने के लिए सहमत हैं। उन्होंने कहा कि, गन्ना किसानों ने शुरू में दावा किया था कि उनका 90 करोड़ रुपये बकाया है। जबकि सरकार ने गन्ना किसानों से कहा कि वे केवल 65 करोड़ रुपये का दावा करें और 25 करोड़ रुपये को विवादित राशि माना जाए। मिश्रा ने कहा कि, सरकार विवादित 25 करोड़ रुपये की जांच के लिए समय चाहती थी और सरकार ने पिछले साल 120 दिन बाद जब अपनी रिपोर्ट तैयार की तो उसने विवादित राशि के बारे में कुछ नहीं बताया। नेपाल गन्ना किसान संघ के समन्वयक राज कुमार उप्रेती ने कहा कि, गन्ना किसानों को समय पर सरकारी सब्सिडी और खाद नहीं मिल रही है। पिछले वर्षों की तुलना में गन्ने की खेती में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है।
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