नई दिल्ली: ऐसे क्षेत्र में जहा पानी की कमी है, वहा सरकार गन्ने की खेती रोकने के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि दे सकती है। खबरो के मुताबिक, एक सरकारी पैनल पानी की कमी का सामना कर रहे क्षेत्रों में गन्ने की खेती को कम करने के योजना पर काम कर रही है। इसके लिए, NITI आयोग के सदस्य रमेश चंद के नेतृत्व वाली टास्क फोर्स महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में गन्ना उत्पादन कम करने के लिए किसानों को प्रोत्साहन के रूप में एक साल में 6,000 रुपये प्रति एकड़ देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
गन्ने की खेती के अंतर्गत क्षेत्र को लगभग 20 प्रतिशत या उसके नीचे लाने का विचार है। जिससे देश जो चीनी अधिशेष से जूझ रहा है, उसमे भी मदद मिलेगी। विचाराधीन प्रस्ताव बढ़ते राजकोषीय बोझ और जल तालिका में गिरावट के मद्देनजर किया जा रहा है।
पिछले पांच वर्षों में औसतन 48 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि गन्ने की खेती के अधीन है। वर्ष 2018-19 में यह 55 लाख हेक्टेयर थी। गन्ने की खेती के क्षेत्र के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार हैं। भारत में उपलब्ध सिंचाई के पानी का लगभग 60 प्रतिशत का उपयोग दो सबसे अधिक जल-रोधी फसलों- चावल और गन्ने की खेती में किया जाता है।
समर्थन मूल्य, सुनिश्चित बाजार उपलब्धता और केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सुनिश्चित की गई लाभप्रदता के कारण किसानों द्वारा गन्ने की खेती जारी है। भारत में चीनी उद्योग हाल के वर्षों में गन्ने के बकाया भुगतान के लिए संघर्ष कर रहा है।
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