कोयंबटूर: राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली दुकानों में दिए जाने वाले गन्ने की थोक खरीद शुरू करने से सलेम के किसान राहत महसूस कर रहे हैं कि उनकी उपज को उचित मूल्य मिल रहा है। सलेम में एडप्पादी के पास पूलमपट्टी में किसान सीधे 350 से 420 रुपये की उचित कीमत पर 20 गन्ने का बंडल बेच रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से किसान पूलमपट्टी, कडक्कल, कुप्पानूर, पिल्लुकुरिची, नेदुंगुलम और कोनेरीपट्टी क्षेत्रों में कावेरी बेसिन क्षेत्रों में 2,000 एकड़ से अधिक भूमि पर उगाए गए गन्ने की कटाई में व्यस्त हैं।
व्यापारी इस क्षेत्र से थोक में गन्ना खरीदते हैं और इसे गुजरात और हैदराबाद जैसे अन्य राज्यों में भेजते हैं। सहकारी विभागों के अधिकारी भी सलेम, नमक्कल और इरोड जिलों में डेरा डाले हुए हैं, ताकि पीडीएस दुकानों में राशन कार्ड धारकों को पोंगल किट में दिए जाने वाले गन्ने की खरीद की जा सके। इस बीच, तमिलनाडु गन्ना किसान संघ के उपाध्यक्ष एस नल्ला गौंडर ने कहा कि, खराब रिटर्न के कारण तमिलनाडु में गन्ने की कटाई का रकबा काफी कम हो गया है।
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए 215 रुपये प्रति टन का समर्थन मूल्य दिया और, केंद्र सरकार ने 10.25 प्रतिशत की रिकवरी दर पर 2024-2025 गन्ना पेराई सत्र के लिए 3,400 रुपये प्रति टन का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) घोषित किया। लेकिन तमिलनाडु के किसानों को अपनी उपज के लिए कम एफआरपी मिलती है, क्योंकि यहाँ के उपज से चीनी की पैदावार कम होती है। गन्ना किसानों ने कहा की, महाराष्ट्र और कर्नाटक के किसानों को उनके गन्ने में चीनी की मात्रा अधिक होने के कारण अधिक एफआरपी मिलता है, जबकि राज्य में चीनी की रिकवरी मात्र 8.5 प्रतिशत है। किसान न्यूनतम प्रति टन 5,500 रुपये एफआरपी तय करने की मांग कर रहे हैं।तमिलनाडु में कुछ साल पहले तक गन्ने की पैदावार 60 टन प्रति एकड़ से घटकर अब औसतन 35 टन से 45 टन प्रति एकड़ रह गई है, क्योंकि कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता खो चुकी है।