चीनी मिलों को तीन किश्तों में उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) मूल्य का भुगतान करने की नीति आयोग की सिफारिशों के खिलाफ गन्ना किसानों के कड़े विरोध के बाद, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आश्वासन दिया है कि मौजूदा गन्ना अधिनियम का पालन किया जाएगा।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सिफारिशों का पुरजोर विरोध करने वाले भारतीय किसान संगम ने संबंधित राज्य सरकारों से कदम उठाने की अपील की है ताकि किसानों को बिना देरी के उनका बकाया मिल सके। गन्ना किसानों का कहना है की गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के अनुसार, चीनी मिलों को गन्ना काटने के 14 दिनों के भीतर किसानों को गन्ना एफआरपी का भुगतान करना चाहिए। यदि समय सीमा का उल्लंघन किया जाता है, तो मिलों को 15% ब्याज का भुगतान करना चाहिए।
हालांकि, नीति आयोग ने अपनी मार्च 2020 की रिपोर्ट में तीन किस्तों में एफआरपी के भुगतान की सिफारिश की थी। यानी गन्ने की डिलीवरी के 14 दिनों के भीतर 60%, अगले दो सप्ताह के भीतर 20% और शेष एक महीने के भीतर या चीनी की बिक्री पर, जो भी पहले हो।
तंजावुर जिला कावेरी किसान संरक्षण संघ के सचिव स्वामीमलाई एस विमलनाथन ने कहा कि नीति आयोग ने किसानों से सलाह किए बिना सिफारिशें की हैं।
उन्होंने कहा की किसान समुदाय के बीच एक बड़ा प्रभाव पैदा करने वाला निर्णय लेने से पहले, नीति आयोग को सभी हितधारकों से परामर्श करना चाहिए था। ऐसा नहीं हुआ है। केंद्रीय मंत्री ने एक विशेष राज्य को यह कहते हुए पत्र लिखा कि सिफारिशों को लागू नहीं किया जाएगा, बजाय इसके कि उचित घोषणा जारी की जाए जो पूरे देश के लिए उपयुक्त हो।