नेपाल में उर्वरकों की किल्लत, भारत से खरीदने की कोशिश में सरकार

काठमांडू : नेपाल के किसानों को फसल के चरम मौसम के दौरान उर्वरकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे खाद्य उपलब्धता और आय पर विपरीत असर हो सकता है, इससे बचने के लिए नेपाल सरकार भारत से उर्वरक खरीदने की कोशिश कर रहा है। पहले उर्वरक के एक बोरी की कीमत (Nrs) 2,600 थी, अब यह बढ़कर (Nrs) 3,200 हो गई है। उर्वरक की कीमत बढ़ने से किसानों के लागत में बढ़ोतरी हो रही है। चरम फसल के मौसम के दौरान उर्वरकों की तीव्र कमी के साथ खाद्यान्न की कमी और मुद्रास्फीति में वृद्धि का डर बढ़ रहा है।

कृषि क्षेत्र नेपाल की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में लगभग 25 प्रतिशत का योगदान देता है और नेपाल के लगभग 60 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता है। लेकिन जरूरत के समय उर्वरकों की टूटी हुई आपूर्ति श्रृंखला और कालाबाजारी ने धीमी विकास दर और उच्च मुद्रास्फीति के कारण गतिरोध को बढ़ा दिया है। उच्च लागत के कारण राज्य द्वारा संचालित कंपनियां समय पर आयात करने में विफल रहने के बाद सरकार भारत के साथ सरकार से सरकार के सौदे के माध्यम से उर्वरक की खरीद के प्रयास करने का दावा कर रही है। सरकार से सरकार के सौदे के जरिए 150,000 टन रासायनिक उर्वरक की आपूर्ति के लिए भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। जिसके अनुसार, भारत ने संकट को कम करने के उपाय के रूप में जुलाई के मध्य तक 50,000 टन यूरिया और 30,000 टन डीएपी की शिपमेंट भेजने का वादा किया था।

नेपाल सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उर्वरक की कीमत एक साल के भीतर चार से पांच गुना बढ़ गई है। सरकार को किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए सब्सिडी के लिए 70 अरब रुपये से अधिक की आवश्यकता होगी। सरकार ने रासायनिक खाद के आयात के लिए 15 अरब रुपये अलग रखे थे, लेकिन मौजूदा कीमतों पर मुश्किल से 200,000 टन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा होगा।

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