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नई दिल्ली : चीनी मंडी
पिछले दो-तीन सालों से रिकॉर्ड चीनी उत्पादन के कारण चीनी उद्योग आर्थिक संकट में फंसा है, जिससे गन्ना किसान, मिलर्स और मिल मजदूर सभी परेशान है। चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। अब चीनी उद्योग को राहत देने वाली एक गुड न्यूज़ है, अब चीनी केवल मीठे स्वाद में ही नही, बल्कि फलों के स्वाद (फ्लेवर्ड चीनी) में भी मिलेगी। राष्ट्रिय चीनी संशोधन संस्थान (एनएसआय) ने यह नई तकनीक इजाद की है। यह चीनी पाणी में घोलकर ग्राहक मनचाहे फल का स्वाद पा सकते है।
देश में पिछले कई सालों से घरेलू और आंतरराष्ट्रिय बाजार की मांग से कई ज्यादा चीनी उत्पादन हो रहा है, जिससे चीनी अधिशेष की समस्या पैदा हुई है। पिछले दो – तीन सालों में तो अधिशेष की समस्या ने चीनी उद्योग को हिला के रख दिया है। ठप हुई निर्यात, चीनी कीमतों में गिरावट और एफआरपी बकाया भुगतान चुकाने में नाकामी से चीनी उद्योग कठिनाइयों से गुजर रहा है। ऐसे समय में राष्ट्रिय चीनी संशोधन संस्थान द्वारा किया गया संशोधन चीनी उद्योग के लिए राहत भरा कदम हो सकता है।
फ्लेवर्ड चीनी के उत्पादन के बाद घरेलू और आंतरराष्ट्रिय बाजार में चीनी की मांग 20 से 25 प्रतिशत तक बढने की संभावना है। जिससे चीनी अधिशेष की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है। राष्ट्रिय चीनी संशोधन संस्थान से यह तकनीक श्रीलंका, मिस्र और नायजेरिया ने खरीदनें में दिलचस्पी दिखाई है। देश में यह तकनीक धामपुर शुगर और डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्री में सबसे पहले इस्तेमाल होगा। राष्ट्रिय चीनी संशोधन संस्थान ने इन दो कम्पनियों के साथ समझोता किया है।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र को होगा फायदा…
राष्ट्रिय चीनी संशोधन संस्थान के फ्लेवर्ड चीनी तकनीक का सबसे जादा फायदा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के चीनी मिलों को हो सकता है, क्योंकि इन दो राज्यों में सबसे ज्यादा चीनी उत्पादन होता है।अधिशेष की समस्या से छुटकारा पाने के लिए और चीनी खपत के नये अवसर तलाश रहे मिलों को ‘फ्लेवर्ड चीनी’ का संशोधन लाभकारी साबित हो सकता है।