मुंबई : चीनी मंडी
पश्चिमी महाराष्ट्र में चीनी बेल्ट के रूप में जाना जाने वाला सांगली, सतारा और कोल्हापुर जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इन तीन जिलों में तकरीबन 35 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र पिछले एक सप्ताह से पानी के नीचे है। गन्ने के उत्पादन में गिरावट की संभावना है और चीनी मिलों के सामने आने वाली चुनौतियाँ बढ़ने की संभावना है।
सतारा, सांगली और कोल्हापुर तीन जिले हैं, जो राज्य में चीनी बेल्ट के रूप में जाने जाते है और यहाँ 50 से अधिक चीनी मिलें हैं। इस जगह का अर्थशास्त्र और राजनीति भी चीनी उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। इस साल ये जिले बाढ़ की चपेट में आए हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, कोल्हापुर में 68,610, सांगली में 20,571 और सतारा में 23,116.53 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई। इसमें गन्ने की खेती का क्षेत्र सबसे अधिक है।
पश्चिमी महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था भी होगी प्रभावित…
अकेले कोल्हापुर में 26 लाख 73 मीट्रिक टन गन्ने का नुकसान होने का अंदेशा है, जिससे गन्ना किसानों को 800 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है। बाढ़ के पानी को सामान्य स्थिति में लौटने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा। हालांकि, राजस्व विभाग ने आंकड़े भी दिखाए हैं, जो और बढ़ने की संभावना है। परिणामस्वरूप, पश्चिमी महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।
चीनी उत्पादकों में चिंता का माहौल
वर्तमान में, महाराष्ट्र में चीनी मिलों के सामने उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी हैं। अब बाढ़ और सूखे के संकट ने इस उद्योग के सामने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसी संभावना है की चीनी मिलों को गन्ने की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी संकट और बढ़ेगी। राज्य में चीनी के अतिरिक्त उत्पादन के कारण अधिक चीनी का भंडार है और इस बीच, अगर इस साल का चीनी उत्पादन घटता है, तो अधिशेष चीनी का सहारा लिया जा सकता हैं।
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