पुणे: हाल ही में हुई बारिश और बाढ़ ने महाराष्ट्र को तबाह कर दिया है, 2.5 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल क्षेत्र को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। दि इंडियन एक्सप्रेस में छपे खबर के मुताबिक, बाढ़ से मक्का, सोयाबीन, मूंगफली की सब्जियां, धान और गन्ना जैसी फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन गन्ना उत्पादकों को अन्य फसलों की तुलना में कम नुकसान हुआ है।
अब तक, गन्ना फसल की राजधानी कोल्हापुर में सबसे अधिक 50,000 हेक्टेयर गन्ना क्षेत्र को नुकसान हुआ है। सांगली, पुणे और सतारा ने प्रत्येक लगभग 4,000 हेक्टेयर क्षतिग्रस्त होने की सूचना दी है, जबकि वाशिम, अकोला, नागपुर और विदर्भ के कुछ अन्य जिलों में 30,000 हेक्टेयर फसल की क्षति हुई है। चीनी उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि, सोयाबीन, मूंगफली और सब्जियों जैसी फसलों के विपरीत, गन्ना फसल के नुकसान की संभावना कम है। उद्योग विशेषज्ञ, विजय औताडे ने कहा कि, गन्ना फसल अन्य फसल की तुलना में सूखे और बाढ़ के मामले में चरम सीमा तक जीवित रहती है। उन्होंने कहा, अगर फसल का ऊपरी हिस्सा 10 दिनों तक बाढ़ के पानी में डूबा रहता है, तो भी फसल पुनर्जीवित हो सकती है। जुलाई में बाढ़ आई है, इसलिए फसल को पुनर्जीवित होने और बढ़ने के लिए अक्टूबर तक पर्याप्त समय होगा। औताडे ने कहा कि, बाढ़ का पानी अपने साथ बहुत उपजाऊ मिट्टी लाता है, जिससे गन्ना फसल को फायदा ही होगा। इससे चीनी उद्योग को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
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