बीजिंग: चीन में सरकारी मीडिया ने बताया कि, मक्के या गन्ना जैसी फसलों का उपयोग करने के बजाय कोयले के उपयोग के माध्यम से एथेनॉल के उत्पादन का परीक्षण शुरू कर दिया है। 600,000 मीट्रिक टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता वाला दक्षिण पूर्वी चीन में स्थापित प्लांट दुनिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट है। चीनी अधिकारियों ने कहा कि, एथेनॉल बनाने के लिए महत्वपूर्ण खाद्य स्रोतों के बजाय देश के प्रचुर कोयला संसाधनों का उपयोग करना और साथ ही ईंधन आयात कम करना हमारा लक्ष्य है।
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के डालियान इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल फिजिक्स (डीआईसीपी) ने अपनी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में लिखा है की, नया उत्पादन मार्ग चीन की खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और रासायनिक उद्योग आपूर्ति श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग एथेनॉल को बायोमास से बना “नवीकरणीय ईंधन” के रूप में वर्णित करता है, जो आमतौर पर मकई से बनता है। एथेनॉल को गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने 30 दिसंबर को कहा कि, अनहुई प्रांत के हुआइबेई स्थित एक प्लांट में कोयला आधारित उत्पादन हो रहा है। सिन्हुआ के अनुसार, यह प्लांट राज्य के स्वामित्व वाले शानक्सी यानचांग पेट्रोलियम समूह के साथ साझेदारी में डीआईसीपी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित तकनीक का उपयोग कर रही है। चीन एथेनॉल उत्पादन प्रक्रिया में निम्न श्रेणी के कोयले का उपयोग कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि, एथेनॉल बनाने के लिए कोयले के उपयोग से सालाना “लाखों टन” अनाज की बचत होगी जिसका उपयोग खाद्य संसाधन के रूप में किया जा सकता है।
सिन्हुआ ने बताया कि, डीएमटीई के नाम से जानी जाने वाली एक नई तकनीक कोक ओवन गैस से मेथनॉल का उत्पादन करती है, जो कोक उत्पादन का एक उप-उत्पाद है, जो कोयले का उपयोग करने वाली एक औद्योगिक प्रथा है। एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए मेथनॉल अन्य सामग्रियों के साथ प्रतिक्रिया करता है। डीआईसीपी ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि, यह प्रक्रिया कोयले और प्राकृतिक गैस दोनों से बड़े पैमाने पर एथेनॉल उत्पादन का समर्थन करती है, जिसका उपयोग चीन की कई इस्पात उत्पादन सुविधाओं में किया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि, चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने औद्योगिक स्तर पर जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने वाली प्रौद्योगिकी को स्थापित किया है।