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नयी दिल्ली, 28 जून, वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में बाजार में पैर जमाती कम्पनियों की गला काट प्रतियोगिता के बीच मुनाफा कमाने के फंडे अपना रही खाद्य क्षेत्र से जुडी कंपनियों पर कई बार खाद्य मानकों पर खरा न उतरने की शिकायतें मिलती रहती है। लेकिन अब भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण यानि एफएसएसएई ने नई गाइड लाइन जारी की है जिसमें कम्पनियों को चीनी, वसा, और नमक की मात्रा का भी स्पष्ट उल्लेख करना होगा।
एफएसएसएई के इस निर्णय पर दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग के आयुक्त एल आर गर्ग ने कहा कि खाद्य कंपनियों को डिब्बाबंद उत्पादों पर साफ साफ तरीके से पढने लायक मात्रा में उत्पाद में मौजूद चीनी, वसा और नमक के उच्च स्तर का उल्लेख करना होगा। यह अंकण लाल रंग में करना अनिवार्य होगा जो ग्राहक को आसानी से पढ़ने में आए। खाद्य नियामक संस्था की इस गाइडलाइन की सराहना करते हुए गर्ग ने कहा कि हम तो पहले से ही इस तरह के मानकों के पक्षधर है। अब ये नई गाइडलाइन आयी है वो स्वागत योग्य है लेकिन अभी भी पुराने हो चुके अन्य खाद्य नियमों का अध्ययन कर समयानुकूल उनमें भी बदलाव कर संशोधन की जरूरत है।
गर्ग ने कहा कि खाद्य पदार्थो में उपयोग होने वाली सबसे महत्वपूर्ण कंटेन्ट शुगर है। पैक्ड मिठाइयों के अलावा अन्य उत्पादों में कितनी चीनी है, वो किस ग्रेड की है उसमें शर्करा लेवल कितना है, अन्य कम्पोनेंट क्या है अक्सर इनकी मात्रा और मिलाए गयी सामग्री की गुणवत्ता शक के दायरे में रहती है। जिनको लेकर शिकायत मिलती है कि कंपनियां इन का सही ब्योरा नहीं देती है और डिब्बों पर जो लिखा रहता है वो वास्तविकता से मेल नहीं खाता । ऐसे में नए नियमों से ग्राहकों को फ़ायदा होगा और कम्पनियाँ ग्राहकों के प्रति ज़िम्मेदार बनेगी।
केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने एफएसएसएआई के निर्णय का स्वागत करके हुए कहा कि नए ‘लेबलिंग एवं डिस्प्ले’ विनियमों के लिए जो मसौदा तैयार हुआ है यह ग्राहकों को सरकार की तरफ़ से शुद्दता मानकों की पालना करवाने का दिशा में महत्वपूर्ण तोहफ़ा है। इससे डिब्बाबंद खाद्य उत्पाद ख़रीदने वाले व्यक्तियों के साथ पूरा न्याय होगा।
एफ़एसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पवन अग्रवाल ने कहा कि इन नियमों को तीन साल के भीतर चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और समय समय पर इनकी समीक्षा भी होती रहेगी।
दिल्ली निवासी अंशुमन गोयल ने कहा कि वर्तमान में कंपनियां उत्पाद के निर्माण और खराब होने की तारीख अलग – अलग जगह देती हैं। ग्राहकों को इसे ढूंढने और देखने में दिक्कत होती है। इसे देखते हुए नए नियमों में निर्माण और खराब होने की तारीख का स्पष्ट उल्लेख होने के साथ अन्य जानकारी भी स्पष्ट लिखी होनी चाहिए ताकि उत्पाद के जितने पैसे ग्राहक ने दिए है उसे अपने उत्पाद के बारे में पूरी तरह से जानकारी पढ़ने के बाद पूर्ण रूप से संतुष्टि भी हो ।