कोल्हापुर: केंद्र सरकार ने सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को एथेनॉल के लिए गन्ने के रस का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता,पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि, केंद्र सरकार का यह फैसला काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, इसका चीनी उद्योग और देश के किसानों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है। उन्होंने आरोप लगाया की, सरकार ने पहले चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर और अब एथेनॉल के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाकर चीनी उद्योग को दुविधा में डाल दिया है।
शेट्टी ने कहा, केंद्र सरकार ने खुद कई चीनी मिलों को विभिन्न सब्सिडी देकर एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसके लिए चीनी मिलों ने कर्ज लेकर करोड़ों का निवेश किया और एथेनॉल परियोजनाएं स्थापित कीं। चर्चा थी कि केंद्र सरकार इस साल एथेनॉल की कीमत बढ़ाएगी, अगर एथेनॉल की कीमत बढ़ती तो इससे किसानों को भी फायदा होता। इस बीच सरकार के अचानक गलत फैसले से करोड़ों रुपये का कर्ज लेने वाली चीनी मिलें मुसीबत में फंसने वाली है। अगर मिलें संकट में होंगी, तो इससे किसान प्रभावित होंगे।
क्या है सरकार का फैसला?
सरकार द्वारा 7 दिसंबर, 2023 को जारी एक अधिसूचना में, सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को 2023-24 में एथेनॉल के लिए गन्ने के रस/शुगर सिरप का उपयोग बंद करने का निर्देश दिया गया है। बी-हैवी मोलासेस के जरिए तेल कंपनियों को एथेनॉल की आपूर्ति जारी रहेगी। चीनी उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक, स्थानीय बाजार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र में कम बारिश के कारण चीनी उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। इसलिए सरकार देश में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही कदम उठा रही है।