नासिक : चीनी मंडी
राज्य सहकारी बैंक और धाराशिव चीनी मिल के त्रिपक्षीय समझौते में गन्ना उत्पादकों, श्रमिकों और अन्य देनदारियों के संबंध में अनुबंध में कोई भी प्रायोजन नही है, समझौते के अनुसार 25 साल के बाद अन्य देनदारियों की बात पर सोचा जाना है, यह त्रिपक्षीय समझौता गन्ना उत्पादक किसान, मिल के हजारों सदस्य और कार्यकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी है, ऐसा आरोप ‘वसाका’ बचाव परिषद के संयोजक सुनील देवरे ने कलवान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया ।
देवरे ने कहा कि, त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार विठेवाड़ी की वसंतदादा पाटिल सहकारी चीनी मिल को धाराशिव चीनी मिल को पट्टे पर 25 साल तक चलाने के लिए अनुमति दे दी गई है, लेकिन अगर त्रिपक्षीय समझौते का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो २५ साल नही, मिल पट्टे से मुक्त होने के लिए कम से कम 300 साल लग सकते है । गन्ना उत्पादक, मजदूर और अन्य देनदारियों के बारे में भी अनुबंध में कोई जिक्र भी नही है, मिल को किसी निजी कम्पनी के हातों में जाने से रोकने के लिय किसान, सदस्य और कार्यकर्ताओं एकजुट होने की अपील भी देवरे ने की है । धारशिव कारखाने की एकमात्र निविदा राज्य सहकारी बैंक की 23 अगस्त 2018 की बैठक में, विषय संख्या। 18 के तहत स्वीकार की गई है।