एफआरपी ‘अस्वीकार्य’ है, इसमें उच्च उत्पादन लागत को ध्यान में नहीं रखा गया: तमिलनाडु के गन्ना किसानों का दावा

तंजावुर: राज्य के किसानों ने गन्ने के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) द्वारा घोषित उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को “अस्वीकार्य” बताया है, जिसमें 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है जो 10.25% की बेसिक रिकवरी के लिए है। किसानों ने एफआरपी में हुई बढ़ोतरी इसकी उच्च उत्पादन लागत के अनुरूप नहीं होने की शिकायत की और बताया कि केवल कुछ चीनी मिलें 10% और उससे अधिक की रिकवरी दर हासिल कर पाती हैं।

सीसीईए ने बुधवार को इस साल अक्टूबर से शुरू होने वाले गन्ना पेराई सत्र 2023-24 के लिए एफआरपी के रूप में 315 रुपये प्रति क्विंटल को मंजूरी दी थी, जो मिलों द्वारा किसानों को दी जाने वाली न्यूनतम कीमत है। जो 3,150 रुपये प्रति टन होती है, और यह कीमत 10.25% की रिकवरी दर के लिए लागू है।

तमिलनाडु गन्ना किसान संघ के महासचिव डी रवींद्रन ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, गन्ना किसानों के लिए कीमत अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, तमिलनाडु में गन्ना किसानों को 3,150 रुपये प्रति टन नहीं मिलेगा क्योंकि राज्य में चीनी मिलों की रिकवरी दर 8.6% और 9.5% के बीच है। केवल कुछ मिलें 10% या 10.1% की रिकवरी दर हासिल कर पाती हैं। 9.5% से नीचे की रिकवरी दर को जोड़ते हुए, सरकार ने एफआरपी 2,919.75 रुपये प्रति टन तय की है, जो कि केवल 98.50 रूपये प्रति टन की वृद्धि है।

उन्होंने बताया कि, 2019-20 में एफआरपी 2,750 रुपये प्रति टन थी, जो अब 2,919 रुपये हो गई है। पिछले चार वर्षों में बढ़ोतरी केवल 170 रूपये प्रति टन के आसपास थी। हालांकि, इसी अवधि में डीजल, उर्वरक और श्रम लागत जैसे इनपुट की कीमतों में लगभग 60% की वृद्धि हुई। रवींद्रन ने चालू वर्ष के लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा उत्पादन लागत की गणना 1,570 रुपये प्रति टन करने को गलत ठहराया। यह बताते हुए कि, सीएसीपी द्वारा गणना की गई उत्पादन लागत पिछले वर्ष के लिए 1,620 रुपये प्रति टन थी, उन्होंने आश्चर्य जताया कि जब इनपुट लागत बढ़ रही है, तो उत्पादन लागत कैसे कम हो सकती है। उन्होंने कहा, गन्ना किसानों को अकेले कटाई के लिए प्रति टन 1,500 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। रवींद्रन ने कहा, गन्ने की खेती की लागत 2,750 रुपये प्रति टन है और इसलिए कीमत 5,000 रुपये प्रति टन तय की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, तभी गन्ना किसानों की सुरक्षा हो सकेगी। उन्होंने आगे कहा, कम कीमतों के कारण, तमिलनाडु में चीनी उत्पादन 2011 में 23.5 लाख टन से घटकर 2023 में 10 लाख टन हो गया है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here