नई दिल्ली : चीनी मंडी
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) द्वारा जारी नए ड्राफ्ट ‘रेड’ लेबलिंग नियमों से भारत एफएमसीजी उद्योग नाखुश है। यदि बाजार में उपलब्ध पैकेटबंद नियमों को अपने वर्तमान स्वरूप में लागू किया जाता है तो लगभग 70 प्रतिशत पैकेज्ड फूड को “लाल” कोड करना होगा। FSSAI के इस कानून को रोकने के लिए, एफएमसीजी उद्योग खाद्य नियामक के सामने अपनी बात रखने के लिए काम कर रहा है।
FSSAI के ‘लेबलिंग एंड डिस्प्ले’ नियमों के अनुसार, उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों को पैक पर पोषण संबंधी जानकारी घोषित करनी होगी। इसका मतलब है कि, कैलरी, चीनी और सोडियम मात्रा का कवर के सामने सही उल्लेख करना होगा। पैक के एक हिस्से में पोषक तत्वों के ब्लॉक का रंग, लाल होगा। FSSAI ने पोषक तत्वों की सीमाएं भी निर्धारित की हैं। ये मसौदा नियम लगभग 10 दिन पहले जारी किए गए थे और टिप्पणिया और सुझाव मांगे है।
सूत्रों ने बताया कि, कंपनियों को “लाल” कोडिंग से बचने के लिए मौजूदा और भविष्य के उत्पाद निर्माण को बदलना होगा और इसलिए एफएमसीजी उद्योग प्रत्येक श्रेणी में पोषक तत्वों की सीमा के आधार के बारे में चिंतित हैं। FSSAI का सुझाव है कि, प्रत्येक श्रेणी के लिए सीमा भारतीय आहार पद्धति के अनुसार होनी चाहिए। कंपनियों के अनुसार, अधिकांश सीमाएं वैश्विक मानकों के अनुसार निर्धारित की जाती हैं, जो भारत में आवश्यक रूप से लागू नहीं होती हैं। सूत्रों के अनुसार, ‘एफएसएस’ के समान स्तर के साथ डिब्बाबंद भोजन और ताजा भोजन के बीच भी विभेद होगा। FSSAI द्वारा कहा गया है की, लेबलिंग नियम अभी भी अपने मसौदा चरण में हैं और वे इस मुद्दे पर कंपनियों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
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