नई दिल्ली : चीनी मंडी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले दो सत्रों के अधिशेष चीनी के बाद, हम अगले सत्र में लगभग 2 से 4 मिलियन टन की कमी की उम्मीद हैं और इसलिए वैश्विक स्तर पर कीमतों को मौजूदा स्तर से ऊपर जाने की संभावना है, ऐसा इंडियन सुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के महानिदेशक अविनाश वर्मा का मानना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अभी लगभग 40 -45 लाख टन चीनी अधिशेष है। सभी विशेषज्ञों का मानना है की, अगले साल, 1 अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले 2019-20 चीनी मौसम में महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक में सूखे की स्थिती, इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के बढ़ते इस्तेमाल के कारण चीनी उत्पादन गिर सकता है।
भारत ने पिछले दो सत्रों में लगातार 320 -330 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। इन वर्षों में मांग 250 से 260 लाख टन रही है और इसलिए 1 अक्टूबर 2018 को चीनी अधिशेष लगभग 107 लाख टन से, चालू सीजन में मौसम के अंत तक लगभग 145 लाख टन होने की उम्मीद है और 145 लाख टन अधिशेष के साथ अगले सीजन की शुरुवात होगी। हालांकि, महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक के गन्ना क्षेत्र सूखे से काफी प्रभावित हुए है, इसीलिए अगले सीजन में चीनी उत्पादन 330 लाख टन से घटकर 280 -290 लाख टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। महाराष्ट्र जो चीनी का देश का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, सूखे की मार झेल रहा है। इसके चलते अकेले महाराष्ट्र से अगले सीजन में लगभग 40 लाख टन की गिरावट की आशंका जताई रही हैं।
उत्तर प्रदेश की मिले चीनी अधिशेष के अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर के करीब बैठे हैं। उत्तर प्रदेश की मिलों ने इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत भारी निवेश किया है। इसलिए बहुत मजबूत संभावना है कि, अगले सीजन में बहुत सारे गन्ने के रस को चीनी की जगह इथेनॉल में बदल दिया जाएगा। इसलिए भले ही गन्ने की उपलब्धता अगले सीजन की तरह ही हो, लेकिन वर्तमान सीजन की तुलना में अगले सीजन में चीनी उत्पादन में गिरावट होगी।
बांग्लादेश आम तौर पर हर साल लगभग 25 लाख टन कच्ची चीनी का आयात करता हैं। यदि बांग्लादेश को आवाजाही करने के लिए नदी के मार्ग का विकास होता है, तो उत्तर प्रदेश अगले सीजन में नदी मार्ग के माध्यम से बांग्लादेश में बड़ी मात्रा में चीनी निर्यात करने में सक्षम होगा।