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लखनऊ : अधिशेष उत्पादन, निर्यात में कमी और कीमतों में दबाव के चलते भारतीय चीनी उद्योग काफ़ी संकट का सामना कर रहा है। लेकिन किसान, चीनी मिलें और चीनी उद्योग को जल्द ही ‘अच्छे दिन’ आने की सम्भावना बढ़ गई है। नॉर्थ इंडियन शुगरकेन एंड शुगर टेक्नोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन (निस्टा) ने चीनी, शीरे व एल्कोहल के उत्पादन का एक ऐसा मॉडल बनाया है जो पेट्रोल की कमी को पूरा करने के साथ साथ किसानों को उनकी फसल का अच्छा मुआवजा मिल सकता है। इस मॉडल का प्रस्ताव खाद्य व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पास भेज दिया गया है।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) व निस्टा के संयुक्त तत्वावधान में हुए वार्षिक सम्मेलन के दौरान यह बात सामने आई। पेट्रोल में दस फीसद एल्कोहल मिलने का लक्ष्य चीनी के प्रचुर उत्पादन के साथ पूरा किया जा सकता है। इस मॉडल के अनुसार जूस का 80 फीसद भाग चीनी बनाने में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। शेष 20 फीसदी हिस्से से एल्कोहल बनाया जाए। इससे हम देशभर में 260 लाख टन चीनी की खपत की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। अभी 240 करोड़ लीटर एल्कोहल का उत्पादन होता है। जिससे यह पेट्रोल में साढ़े सात फीसद ही मिलाया जा रहा है। चीनी, शीरे व एल्कोहल के उत्पादन के इस नए मॉडल से 330 करोड़ लीटर एल्कोहल का उत्पादन किया जा सकता है। जिससे अधिशेष की समस्या से छुटकारा भी मिलेगा और तो और चीनी मिलों को भी आर्थिक राहत मिल सकती है।