न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) पर जल्द ही चीनी मिलों को मिल सकती है अच्छी खबर

संकटग्रस्त चीनी क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए, अगर सूत्रो कि माने तो सरकार आगामी दिनों में न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP)को २९ रुपये प्रति किलोग्राम से ३२ रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ा सकती है। लोकसभा चुनाव नजदिक है, और भाजपा फिर से सत्ता में आने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। और अपने वोट बँक को बचाने के लिये सरकार  न्यूनतम बिक्री मूल्य मे वृद्धि करके वोटरो को आकर्षित करने कि कोशिश करेगी।
देश में चीनी मिलें बड़ी मुसीबत में हैं क्योंकि उन्हें चीनी के अधिशेष स्टॉक, बाजार में कम मांग और न्यूनतम बिक्री मूल्य में कोई वृद्धि नहीं हुई है। बढ़ते गन्ने के बकाया से चिंतित, सरकार ने जून 2018 में, जल्द से जल्द किसानों को नकद-बकाया मिलों को स्पष्ट राशि सुनिश्चित करने के लिए 7,000 करोड़ रुपये से अधिक के बेलआउट पैकेज की घोषणा की थी।
पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी, देश भर में कई मिलों ने अभी तक एफआरपी की एक किस्त का भुगतान नहीं किया है। नियम यह कहता है कि एफआरपी राशि १४ दिनों के भीतर किसानों के बैंक खातों मे कारखाने मालिकों को सौंप दी जानी चाहिए, लेकिन मिलर्स ऐसा करने में विफल रहे है।
लंबे समय से, मिलर्स चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य को २९ रुपये से बढ़ाकर ३२ रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि वे गन्ने के बकाया का भुगतान करने में असमर्थ है।
चीनी उद्योग के संकट को दूर करने के लिए मिलर्स ने ८ जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस से मुलाकात की और उनसे न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाने का भी आग्रह किया। जिसके बाद, फडनवीस ने कहा कि वह ९ जनवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी कि सोलापूर कि यात्रा के दौरान उंसे इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
खबरों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, जो कि  देश के दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हे उंसे ११,००० करोड़  से ज्यादा रूपये रूपये बकाये है।
SOURCEChiniMandi

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