मुंबई : चीनी मंडी
एफआरपी बकाया भुगतान से परेशान महाराष्ट्र के किसानों को राज्य सरकार की तरफ से राहत की खबर मिली है । महाराष्ट्र सरकार ने गन्ना किसानों को सही मूल्य दिलाने के लिए राजस्व साझेदारी फॉर्मूला (आरएसएफ) की प्रक्रिया को और आसान बनाने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने गन्ना किसानों के भुगतान में हेराफेरी करने के लिए कई चीनी मिलों द्वारा बिलों में बदलाव को लेकर आ रही शिकायतों की जांच का आदेश भी दिया है। साथ ही 2017-18 के दौरान पेराई करने वाली चीनी मिलों की ‘आरएसएफ’ दर को भी मंजूरी दी गई।
राज्य के मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन ने पेराई करने वाली चीनी मिलों की दर राजस्व साझेदारी फॉर्मूला के अनुसार निकालने की प्रक्रिया आसान करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गन्ना दर नियंत्रण मंडल की हुई बैठक में राज्य के पेराई सीजन, गन्ना दर आदि के संबंध में चीनी मिलों और किसानों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की गई। इसमें किसान प्रतिनिधियों द्वारा कई बाते रखी गई । बैठक में 2017-18 के दौरान पेराई करने वाली चीनी मिलों की आरएसएफ गन्ना दर निश्चित की गई और उसे मंजूरी भी दी गई। 181 में से 157 चीनी मिलों की दर आरएसएफ के अनुसार तय की गई है। इनमें से 17 मिलों ने आरएसएफ के तहत एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) से ज्यादा पैसा दिया है।
राज्य की ऐसी 140 मिलों की दर को भी इस बैठक में मंजूरी दी गई है जिनकी आरएसएफ दर एफआरपी से कम है। इस दौरान मुख्य सचिव ने आरएसएफ दर निकालाने की प्रक्रिया को और आसान करने का निर्देश भी दिया। मुख्य सचिव ने चीनी मिलों को फटकार लगाते हुए कहा कि कुछ मिलों ने गन्ना कटाई और यातायात खर्च ज्यादा दिखाया है। इसकी जांच की जाएगी। बैठक में चीनी कारखानों और किसानों के प्रतिनिधियों ने सरकार से चीनी की बिक्री दर 34 रुपये तक बढ़ाने की मांग की।
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