नई दिल्ली: देश में इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास के चलते केंद्र सरकार ने गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 में संशोधन करते हुए केवल इथेनॉल उत्पादन के हेतु स्टैंडअलोन इथेनॉल इकाइयां स्थापित करने की अनुमति दी है। सोमवार को राजपत्रित संशोधन में, केंद्र सरकार ने उन प्रावधानों में संशोधन किया है, जो अब तक गन्ने से इथेनॉल के प्रत्यक्ष उत्पादन की अनुमति नहीं देते थे। अब तक, इथेनॉल का उत्पादन केवल चीनी के रस से या चीनी उत्पादन प्रक्रिया में एक उपोत्पाद शीरे से किया जा सकता है। आमतौर पर, एक टन गन्ने से 115 किलो चीनी मिलती है, अगर रिकवरी 11.5 प्रतिशत है, और 45 किलो शीरा जो 10.8 लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने में मदद कर सकता है। लेकिन मिलें गन्ने के रस चीनी के बजाय 840 किलो इथेनॉल उत्पादन कर सकती हैं।
केंद्र सरकार चीनी मिलों को इथेनॉल उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसे अगले साल तक पेट्रोल के साथ फ्यूल-ग्रेड इथेनॉल का 10 प्रतिशत मिश्रण प्राप्त करने की दिशा में तैयारी शुरू है।
द हिन्दू बिजनेस लाइन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि संशोधन में इथेनॉल की परिभाषा का विस्तार किया गया है, जिसमें रासायनिक उद्योगों में इस्तेमाल होने वाली रेक्टिफाइड स्पिरिट, शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली अतिरिक्त न्यूट्रल अल्कोहल और साथ ही सैनिटाइटर और एथिल अल्कोहल के अन्य रूप शामिल हैं। उन्होंने कहा की, अब तक हम गन्ने के रस से जो भी अलकोहल बनाते थे उसका उपयोग केवल इथेनॉल बनाने के लिए किया जाता था जिसे ईंधन के साथ मिश्रित किया जाता था। अब एक स्टैंडअलोन इथेनॉल निर्माता न केवल ईंधन-ग्रेड इथेनॉल के लिए उपयोग कर सकता है, बल्कि रासायनिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली रेक्टिफाइड स्पिरिट के साथ-साथ शराब और सैनिटाइज़र आदि बनाने के लिए अतिरिक्त तटस्थ अल्कोहल के लिए भी उपयोग कर सकता है।