नई दिल्ली, 20 अगस्त: जैव इंधन वक्त की जरूरत है। केन्द्र सरकार देश में पारंपरिक ऊर्जा श्रोतों को बढावा देने के साथ पैट्रोल आधारित ऊर्जा ज़रूरतों को कम करने की दिशा में काम कर रही है। केन्द्रीय पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया ये बात करते हुए कहा कि सरकार गन्ने के बहुपयोगी विकल्पों तो अपनाकर चीनी मिलों को गन्ने से एथनॉल, टू जी-एथनॉल और गन्ने के वेस्टेज से बायोगैस जैसे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत तैयार करने के लिए प्रेरित कर रही है। जैव इंधन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ें इसके लिए सरकार जैव ईंधन को पूरी तरह से उपयोगी बना रही है। प्रधान ने कहा कि ऐसा करने से एक ओर हम जैव ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य को हासिल करेंगे और वहीं देश के लिए इक्को फ़्रेंडली ऊर्जा उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कारपोरेशन ने इस दिशा में काम करने की पहल करते हुए कहा है कि एथनॉल बनाने के लिए चालू वित्त वर्ष में गुजरात में 492 करोड़ रुपये का कम्पनी निवेश करेगी जिसमें क्षमता बढ़ाने और वितरण जैसे काम शामिल है।
सरकार की पहल का स्वागत करते हुए आईओसी के कार्यकारी निदेशक एस एस लांबा ने कहा कि हम गुजरात में एथनॉल और अन्य उत्पादों के लिये विभिन्न टर्मिनलों पर अतिरिक्त भंडारण सुविधाओ को तैयार कर रहे है। इसके लिये गन्ना उत्पादक जिलों मे चीनी मिलों से बात की जा रही है ताकि इस काम में मिलों का और गन्ना किसानों का सामूहिक सहयोग लिया जा सके और उनके लिए रोज़गार के साथ अतिरिक्त आमदनी के विकल्प पैदा हो सके। लांबा ने कहा कि शुरु में ऐथेनॉल उत्पादन में कुछ समस्या आ सकती है लेकिन बाद में सब ठीक हो जाएगा।
आईओसी के कार्यकारी निदेशक दीपक अग्रवाल ने कहा कि आईओसी के अभी देशभर में 1,350 पेट्रोल पंप है और भविष्य में इन्हे बढ़ाकर 1550 तक करने की योजना है। अग्रवाल ने कहा कि जल्द ही 50 नये सीएनजी स्टेशन खोलें जाएँगे। इससे एक ओर जहाँ पैट्रोल ख़र्चे को कम करने में मदद मिलेगी वहीं देश में पर्यावरण संरक्षण को भी बढावा मिलेगा ।
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