चीनी उद्योग आर्थिक तंगी से जूझ रही और इसे संकट से बाहर निकालने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। सरकार ने चीनी उद्योग को और एक बड़ी रहत दी है। मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने एथेनॉल की कीमतों में इजाफे को अपनी मंजूरी दे दी है। चीनी मिलों और गन्ना किसानों को फायदा पहुंचाने के मकसद से सरकार ने एथेनॉल की कीमतों में वृद्धि की है।
आपको बता दे, बी- हैवी मोलसेस वाले एथेनॉल की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी गई हैं और वही दूसरी ओर सी-हैवी मोलसेस वाले एथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी गई हैं। गन्ने के रस से सीधे बनने वाले एथेनॉल की कीमत में भी 29 पैसे की बढ़ोतरी कर भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर तय किया गया। इसके अलावा जीएसटी और परिवहन शुल्क भी देय होंगे। तेल कंपनियों को वास्तविक परिवहन शुल्क तय करने का सुझाव दिया गया है, ताकि इथेनॉल का लंबी दूरी तक परिवहन हतोत्साहित न हो।
कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी की है। एथेनॉल की दाम में वृद्धि से चीनी मिलों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। एथेनॉल उत्पादन से चीनी अधिशेष को कम करने में भी मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार का 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करने का लक्ष्य है। साखर परिषद 20-20 के दौरान भी गडकरी ने कहा था की अगले दो वर्षों में इथेनॉल का बाजार Rs 50,000 करोड़ तक बढ़ेगा और 2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की क्षमता है। चीनी मिलें चीनी की कीमतों में कमी, अधिशेष स्टॉक और गन्ना बकाया जैसे मुद्दों का सामना कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इथेनॉल का उत्पादन चीनी मिलों को वित्तीय स्थिति में सुधार करने और गन्ना बकाया को दूर करने में मदद करेगा।
हालही में सरकार ने चीनी निर्यात सब्सिडी और बफर स्टॉक को मंजूरी दी थी, जिससे चीनी मिलों और गन्ना किसानों को इसका अच्छा खासा लाभ होगा।
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