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मुज्जफरनगर, 2 जुलाई: उत्तर प्रदेश सरकार सूबे के गन्ना उत्पादक जिलों में परंपरागत उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिये संबंधित अधिकारियों को वस्तुस्थिति की रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। ग्रामीण कुटीर उद्योगों में गन्ने से गुड और शक्कर बनाने के पारंपरिक तरीक़ों को विशेष तौर पर चिन्हित किया गया है। सभी गन्ना उत्पादक जिलों से रिपोर्ट ली जा रही है । परंपरागत उद्योगों को बढ़ावा देने के मसले पर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने लखनऊ में एक प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार ग्रामीण युवाओं को रोज़गार देकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है।गन्ना उत्पादक जिलों में युवाओं को घरेलू स्तर पर रोज़गार मिले इसके लिए पुराने तरीक़ों से गुड और खाँड़सारी तैयार करने वाले व्यक्तियों को कोल्हू लगाने के लिए वित्तीय मदद देने का प्रावधान किया गया है। इस तरह के कुटीर उद्योग को बढावा देने के लिए युवाओं को बाक़ायदा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। मंत्री ने कहा कि जिलों में चल रहे पुराने कोल्हू की गिनती करवायी जा रही है। उसके बाद शासन की तरफ़ से वित्तीय मदद कर इस परंपरागत काम को पुनर्जीवित किया जाएगा।
कोल्हू के वर्तमान में उपयोग और इनसे तैयार गुड व खांडसारी से जुड़ी ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए हमारे संवाददाता ने मुज़फ़्फ़रनगर के ज़िलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय से बात की तो उन्होंने कहा कि आज भी बहुत से परिवारों की आजीविका कोल्हू से चल रही है। हालाँकि पहले जिसने कोल्हू तो ज़िले में नहीं रहे लेकिन सरकार की एक ज़िला एक उत्पाद जैसी महत्वाकांक्षी योजना के तहत गन्ना किसानों के उत्पाद को संगठित कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित करने का काम हम तेज़ी से कर रहे है। इसके तहत पांरपरिक तरीक़ों से गुड़, खांडसारी तैयार करने वाले युवाओं को प्रोत्साहन भी दे रहे है। ज़िलाधिकारी ने बताया कि हमने पहली बार जिले में कोल्हू की संख्या पता करने के लिए सर्वे कराया है। सर्वे के अनुसार जनपद में इस समय 716 कोल्हू संचालित हैं। क़रीब 100 ऐसे कोल्हू है जिन्हें फिर से संचालित करने की ज़रूरत है।
मुज़फ़्फ़रनगर के ज़िला गन्ना अधिकारी आरडी द्विवेदी ने बताया कि कोल्हू से तैयार गुड व खांडसारी उत्पाद अच्छे होते है। बाज़ार में इनकी बिक्री काफ़ी होती है। ये मानकीकरण आधारित है। हालाँकि बेहतर पैकेजिंग नहीं होने से किसानों को ज़्यादा दाम नहीं मिल रहे। जल्द ही इस दिशा में नया इनिशियेटिव लिया जाएगा और इस काम में लगे व्यक्तियों को गुड व खांडसारी की पैकेजिंग का प्रशिक्षण देकर बाज़ार के हिसाब से ट्रेंड किया जाएगा।
मुज़फ़्फ़रनगर के कुटबे ग्राम के युवा जयवीर चौधरी ने कहा कि हमारे गांव में कई घरों में पुराने समय से कोल्हू से गुड तैयार किया जाता रहा है। लेकिन आज 3/4 घर ही बचे है जहाँ ये काम अब भी जारी है। जयवीर ने कहा कि अगर सरकार वित्तीय मदद करेगी तो मैं ख़ुद भी कोल्हू से गुड तैयार करने का अपना बिज़नेस शुरु करुंगा। इसके लिए अच्छी पैकेजिंग का प्रशिणण लेकर हम खुद बड़े बाज़ार में गुड व खांडसारी बेचेंगे और घर बैठे रोज़गार करेंगे । जयवीर ने कहा कि बीते दिनों हमारे जिले में आयोजित हुए गुड महोत्सव में गुड की कई श्रेणी देखने के साथ इस क्षेत्र में व्यापार और कारोबार की संभावनों का मुझे पता चला तब से मेरा भी रुझान परंपरागत तरीक़ों से गुड तैयार कर अपना कारोबार करने की ओर हुआ है। अब सरकार की तरफ़ से भी इस काम के लिए मदद मिल रही है तो अच्छी बात है इससे मेरे जैसे कई अन्य युवाओं को घर बैठे ही रोज़गार करने का सुनहरा अवसर मिलेगा।
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