नयी दिल्ली : मोदी सरकार ने अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2019-20 के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। इससे एक तरफ चीनी मिलें खुश है तो दूसरी तरफ गन्ना किसान नाराज़। केंद्र सरकार ने आने वाले अगले पेराई सत्र के लिए 10 फीसदी रिकवरी के आधार पर गन्ने का उचित और पारिश्रमिक मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल पर ही स्थिर रखने का फैसला किया है।
आपको बता दे, इससे पहले, कृषि लागत और मूल्य आयोग ने चीनी के उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य के बीच सही तालमेल स्थापित होने में मदद करने के लिए 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का FRP 275 रुपये प्रति क्विंटल पर अपरिवर्तित रखने की सिफारिश की थी।
2018-19 के दौरान, सरकार ने गन्ने का उचित मूल्य 20 रुपये प्रति 100 किलोग्राम बढ़ाया था, जो कि 10% की मूल चीनी रिकवरी से जुड़ा था।
उचित और पारिश्रमिक गन्ना मूल्य न्यूनतम मूल्य है, जो मिलों को किसानों को पेराई के 14 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है। गन्ने का उचित और पारिश्रमिक मूल्य आमतौर पर उत्पादन की वास्तविक लागत, चीनी की मांग-आपूर्ति, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कीमतों, अंतर-फसल मूल्य समता, चीनी के प्राथमिक उप-उत्पादों की कीमतों और संभावित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
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