सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा लगाई

सरकार ने अन्न सुरक्षा को प्रबंधित करने और भंडारण और जमाखोरी से बचने के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमाएं लगाने का निर्णय लिया है। इस आदेश को तत्काल प्रभावी बनाया जाएगा और यह 31 मार्च, 2024 तक लागू होगा।

स्टॉक सीमाएं व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े चेन विक्रेताओं और प्रोसेसरों के लिए व्यक्तिगत रूप से लागू होंगी।स्टॉक सीमाएं कुछ इस प्रकार होंगी ट्रेडर / थोक विक्रेता के लिए – 3000 टन, खुदरा विक्रेता और प्रत्येक खुदरा बिक्री केंद्र के लिए 10 टन, बड़े चेन विक्रेता – प्रत्येक बिक्री केंद्र के लिए 10 टन और उनके सभी डिपो में 3000 टन, प्रोसेसर के लिए – वार्षिक स्थापित क्षमता का 75 प्रतिशत।

आधिकारिक रिलीज़ में बताया गया की, उपरोक्त कानूनी इकाइयों को घोषित करना होगा कि उनका भंडारण स्थान क्या है और उन्हें नियमित रूप से खबर अपडेट करनी होगी। यदि उनके पास निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक है, तो उन्हें इस सूचना के जारी होने के 30 दिनों के भीतर उन्हें निर्धारित स्टॉक सीमाओं तक लाना होगा ।

इसके अलावा, केंद्र ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत पहले चरण में गेहूं के खुदरा मूल्यों को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय पूल स्टॉक से 15 लाख टन गेहूं की बिक्री करने का भी निर्णय लिया है। गेहूं 10-100 टन के लॉट साइज में बेचा जाएगा। इस नीलामी के लिए पंजीकरण FCI’s के e-auction प्लेटफॉर्म पर खुला है।

कीमतों को मोड़ेरेट करने के लिए चावल को खुले बाजार योजना के तहत भी बाजार में बेचने का निर्णय लिया गया है। पहले चरण के e-auction के लिए चावल की मात्रा जल्द ही निर्धारित की जाएगी।

गेहूं पर स्टॉक सीमाओं के लागू होने के साथ-साथ गेहूं और चावल को बेचने के कदम सरकार द्वारा निरंतर प्रयासों का हिस्सा है जो आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर करने के लिए किए जाते हैं।

साथ ही प्रेस रिलीज़ में यह भी बताया गया की, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग देश में गेहूं और चावल की भंडारण स्थिति की निगरानी कर रहा है ताकि कीमतों को नियंत्रित किया जा सके और देश में उपलब्धता की सुविधा सुनिश्चित की जा सके।

देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने के साथ-साथ पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, दोहरी मार के बीच, भारत ने फिर गेहूं की निर्यात नीति को “निषिद्ध” श्रेणी में रखकर गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन किया।

पिछले साल रबी फसल के पहले फसल में कई गेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में गर्मी के कराण गेहूं की फसलों पर काफी प्रभाव पड़ा है।

तो वही इस साल भी, विभिन्न प्रमुख उत्पादक राज्यों से रिपोर्ट आई हैं कि बेमौसम बारिश ने कुछ क्षेत्रों में खड़ी फसलों को चौपट कर दिया है।

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