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जयपुर, 29 जून, राजस्थान सरकार खाद्य पदार्थों की मानक आधारित गुणवत्ता एवं शुद्धता बराकर रखने के लिए ‘’शुद्द के लिए युद्द’’ अभियान चला रही है। इस अभियान में ख़ास तौर पर चीनी में हो रही मिलावट को रोकन के लिए जाँच अभियान शुरु किया गया है।
बीते दिनों चीनी में मिलावट की ख़बरों के बीच सरकार ने मिलावटखोरों को निशाने पर लिया है। अधिकारियों को सूचना मिली थी कि अधिक लाभ के लालच मे कुछ लोग चीनी में बारीक प्लास्टिक क्रिस्टल मिलाकर बेच रहे है। जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इससे केंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है।
इस तरह की चीनी के बाज़ार में चोरी छिपे बिक्री से लोगों मे चीनी विक्रेताओ के खिलाफ रोष पैदा हो रहा था । चीनी में मिलावट की ख़बरों से चिन्तित प्रदेश के व्यापारियों ने मिलावटखोरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही की माँग की थी जिसके बाद रसद विभाग की टीम सक्रिय हुई और अभियान चलाया।
प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि चीनी की जांच के लिए 33 जिलों में डीएसओ के नेतृत्व में जाँच दल गठित किये गए है जो शिकायत मिली दुकानों से सैम्पल लेकर प्रयोगशाला में जाँच के लिए भेज रहे है। दोषियों के खिलाफ सरकार सख़्त कार्यवाई करेगी। मंत्री ने कहा कि कुछ जगहों पर चीनी की जांच में घटिया स्तर की चीनी पाई गई। इसके बाद शासन ने सभी सभी खाद्य संरक्षा अधिकारियों को चीनी के नमूने लेने का आदेश जारी किये।
दरअसल प्रदेश सरकार ने सत्ता में आते ही ‘’शुद्द के लिए युद्द’’ अभियान चलाया था जिसमें सभी तरह के खाद्य एवं पेय पदार्थों में मिलावट के खिलाफ सख़्त कार्यवाई शुरु की थी। जाँच में पता चला कि चीनी में मिलावट का कारोबार पैर पसारता जा रहा है तो प्रशासन सजग हुआ, जाँच शुरु हुई तो मिलावट का पता चला। जाँच में पाया गया कि मिलावटखोर चीनी में प्लास्टिक के विशेष प्रकार के क्रिस्टल मिला कर बाज़ार में बेचते है जो देखने में एकदम चीनी की तरह लगते है और इसी के चलते वो इस अनैतिक कारोबार को अंजाम देने में सफल हो जाते है।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ वीर सिंह मे कहा कि क्रिस्टलयुक्त मिश्रित चीनी के खाने से लीवर में कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। इसमें पाली इथाइलीन नामक केमिकल होता है जो घातक है। ऐसे में सरकार द्वारा चीनी मिलावट माफ़िया के खिलाफ शुरु किए गए इस अभियान का हर तरफ़ तारीफ़ हो रही है।
सामान्य तौर पर क्रिस्टल युक्त चीनी की पहचान करना भी मुश्किल होता है क़्योंकि क्रिस्टल भी चीनी की तरह चमकीले होते है। आम लोगों को इसकी मिलावट का पता इसलिए नहीं चलता क्यूंकि ये क्रिस्टल हल्की गर्मी में चीनी की तरह ही पिघल जाते हैं। चीनी के मुकाबले से काफी सस्ते होते हैं इसलिये मिलावटीखोर इनको चीनी में मिक्स कर देते है।
ग़ौरतलब है कि ‘शुद्द के लिए युद्द’ चलाने के पीछे सरकार की मंशा आमजन को खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट के प्रति जागरुक करना है। इसी क्रम में लोगों को जागरुक कर घरेलू स्तर पर मिलावटी चीनी का पता करने के नुक़्से भी सिखाए जा रहे है। अगर किसी को शक है कि चीनी में मिलावट हो तो उसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। एक गिलास साफ और ठंडे पानी में एक चम्मच चीनी डालें। अगर चीनी पूरी तरह तली में बैठ जाए तो समझो चीनी शुद्ध है, अगर उसके कुछ क्रिस्टल ऊपर तैरने लगें तो उसमें मिलावट है। इसके अलावा मोटी सफेद दानेदार चीनी में भी मिलावट कम होती है। इसी तरह पतली और गहरे रंग की चीनी भी अशुद्ध होती है।
रसद विभाग की इस पहल से एक ओर जहाँ मिलावटखोरों के मन में भय पैदा होने से इस ग़ैरक़ानूनी चीनी मिलावट के गोरखधंधे पर लगाम लगाने मे मदद मिल रही है वहीं आमजन को शुद्द और गुणवत्ता चीनी भी मिल रही है।