मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निर्धारित 31 अगस्त की समय सीमा समाप्त हो गई है, लेकिन अभी भी राज्य में चीनी मिलों ने गन्ना बकाया नहीं चुकाया है। गन्ना बकाया के मामले में मुजफ्फरनगर में भी हालत बहुत ख़राब है।
मुजफ्फरनगर में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 440 करोड़ रुपये बकाया है। जिसके बाद राज्य सरकार ने सख्ती से जिले की मिलों को बकाया भुगतान चुकाने या कड़ी कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है। जिला गन्ना अधिकारी आरडी दिवेदी के अनुसार 8 में से 7 चीनी मिलों ने पूरा भुगतान नहीं किया है। अगर मिलें गन्ना बकाया चुकाने में विफल रहती है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में कई चेतावनियों के बावजूद, चीनी मिलें बहुत धीमी गति से गन्ना बकाया चूका रही है। जिसके बाद योगी सरकार एक्शन मोड में आयी थी और चीनी मिलों को 31 अगस्त से पहले बकाया चुकाने की चेतावनी दी थी। गन्ने की भुगतान में देरी को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया था कि अगस्त तक सभी गन्ना किसानों का भुगतान किया जाना चाहिए। अगर मिलें भुगतान करने में विफल रहती है तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने के भी निर्देश दिए थे।
जिले में गन्ना उत्पादक चिंतित हैं क्योंकि पिछले सीजन का गन्ना बकाया का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है, और अक्टूबर से नया सीजन शुरू होने वाला है।
भारतीय चीनी उद्योग पिछले दो से तीन वर्षों से विभिन्न बाधाओं से जूझ रहा है, और इस क्षेत्र को संकट से बाहर लाने के लिए सरकार ने सॉफ्ट लोन योजना, निर्यात सब्सिडी, न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी, निर्यात शुल्क में कटौती, आयात शुल्क में 100 प्रतिशत वृद्धि जैसे विभिन्न उपाय उठाये हैं। चीनी मिलों का दावा है कि पेराई सत्र 2017-2018 और 2018-2019 में अधिशेष चीनी उत्पादन और कम घरेलू चीनी की कीमतों के वजह से गन्ना बकाया भुगतान चुकाने में देरी हो रही है। हालही में सरकार ने चीनी निर्यात सब्सिडी की घोसणा की है जिससे उम्मीद है की गन्ना भुगतान चुकाने में मिलों को राहत मिलेग।
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