नई दिल्ली : चीनी मंडी
खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की, चीनी के घरेलू अधिशेषों को कम करने और घरेलू किमते उचित स्तर पर बनी रहने के लिए केंद्र सरकार 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) सीजन के लिए न्यूनतम अधिशेष निर्यात योजना के तहत देशभर की चीनी मिलों को 30-40 लाख मेट्रीक टन चीनी निर्यात करने के लिए कह सकती है । इस योजना के तहत, प्रत्येक मिल को अपने उत्पादन के अनुपात में चीनी की न्यूनतम निर्धारित निर्यात मात्रा तय करने की आवश्यकता होगी।
2017-2018 के लिए केंद्र ने मिलों से न्यूनतम संकेतक निर्यात मात्रा योजना के तहत 30 सितंबर तक 20 लाख मेट्रिक टन चीनी निर्यात करने के निर्देश दिए थे। लेकिन आंतरराष्ट्रीय बाजार मे चीनी किमतों में आई गिरावट के कारण सितबंर तक देश से केवल 5 लाख मेट्रिक टन ही चीनी निर्यात हो सकी, इसलिए पिछले महीने, सरकार ने 31 दिसंबर तक इस योजना के तहत अनिवार्य चीनी निर्यात के लिए समयसीमा दिसंबर तक बढ़ा दी।
जनवरी से ताजा निर्यात कोटा आवंटीत होने की संभावना
अधिकारियों ने कहा, इस साल के लिए मौजूदा योजना से 20 लाख मेट्रिक टन निर्यात और 2018-19 के लिए एमआईईक्यू (न्यूनतम संकेतक निर्यात मात्रा) योजना से 30-40 लाख मेट्रिक टन निर्यात होनी चाहिए्। इससे चीनी की अधिकतम आपूर्ति को कम किया जा सकता है । अधिकारी ने कहा कि, सरकार सितंबर में 2018-19 सत्र के लिए निर्यात नीति की घोषणा कर सकती है। हम इस योजना के बारे में अभी भी काम कर रहे हैं कि पिछले साल की योजना दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। इसलिए, मिलों को जनवरी से निर्यात का ताजा कोटा आवंटीत किया जा सकता है। जो भी हो, हम अगले सीजन से पहले इसकी घोषणा करेंगे ।
‘उन’ चीनी मिलों को ब्लैकलिस्ट करने की इस्मा की मांग
देश का चीनी उद्योग सरकार को 2018-19 में कम से कम 60-70 लाख मेट्रिक चीनी निर्यात करने के लिए मिलों को अनिवार्य करने का आग्रह कर रहा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने केंद्र को लिखे एक पत्र में कहा था कि, सरकार को जो चीनी मिलें निर्यात में कोताई बरतती है और जो सरकार के आदेश का पालन नहीं करती, उनकी अप्रत्याशित चीनी मात्रा को जब्त करने और उन्हे ब्लैकलिस्ट करने के लिए प्रक्रियाओं और नियमों को निर्धारित करना चाहिए।
न्यूनतम घरेलू बिक्री मूल्य 36 रुपये प्रति किलो चाहीए : चीनी मिलें
निर्यात को व्यवहार्य बनाने के लिए, चीनी उद्योग ने सरकार से आग्रह किया है कि, सब्सिडी देने के बजाय वर्तमान के न्यूनतम घरेलू बिक्री मूल्य 29 रुपये से 36 रुपये प्रति किलो हो। 2017-18 के लिए, केंद्र सरकार ने प्रति 100 किलोग्राम गन्ने पर 5.50 रूपये की निर्यात-जुड़ी सब्सिडी की घोषणा की थी।अधिकारी ने कहा, सरकार 2018-19 योजना के लिए कुछ प्रकार की सब्सिडी लाने की संभावना है, जैसे कि मिलों की मांगों के मुताबिक न्यूनतम कीमत बढ़ाई जा सकती है, चीनी की खुदरा कीमत भी बढ़ जाएगी।
अंदाज अपना अपना…
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार, 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में चल रहे मौसम के लिए रिकॉर्ड चीनी उत्पादन, 35.0-35.5 लाख मेट्रिक टन तक पहुंच सकता है। यदि देश का उत्पादन स्तर वास्तव में 35 लाख मेट्रिक टन को छूता है, तो भारत दुनिया का नंबर वन चीनी उत्पादक ब्राजील को पछाडकर दुनिया में सबसे बड़ा चीनी उत्पादक के रूप में उभर सकता है। हालांकि, सरकारी एजंसिया 2018-19 के दौरान भी 32.5-33.0 लाख मेट्रिक टन चीनी उत्पादन होने की अनुमान जता रही है, जो पिछले साल के करीब ही है।