नई दिल्ली: भारत ने देश के ईंधन-मिश्रण कार्यक्रम के लिए एथेनॉल बनाने और पांच वर्षों में उत्पादन को बढ़ाने के लिए अधिक मक्के का इस्तेमाल करने की योजना तैयार की है। केंद्र सरकार ने भारत की जैव ईंधन जरूरतों को पूरा करने की रणनीति के हिस्से के रूप में अहम् भूमिका निभा रही है। सरकार लगातार यह सुनिश्चित करने में लगी हुई है की देश में ज्यादा से ज्यादा एथेनॉल उत्पादन हो, जिसके लिए रिसर्च पर भी फोकस किया जा रहा है।
देश का तीसरा सबसे अधिक उगाया जाने वाला मक्का या मकई, एथेनॉल बनाने में इसके उपयोग के कारण देश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसल के रूप में उभरा है। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, उनके द्वारा देखे गए दस्तावेजों के अनुसार, देश का लक्ष्य कुछ वर्षों में गन्ना आधारित एथेनॉल के उपयोग को कम करना और टिकाऊ तरीके से उगाए गए अधिक मक्के का उपयोग करना है, जिसके लिए केंद्र सरकार ने ₹24.51 करोड़ की नई रिसर्च परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को बताया कि, केंद्र सरकार ने एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्रों में मकई उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य संचालित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Maize Research/IIMR)) के लिए ₹15.46 करोड़ रखे हैं। IIMR, 16 राज्यों के 78 जिलों के 15 जलग्रहण क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाओं और संकरों का प्रसार करेगा।
IIMR के वैज्ञानिकों को वित्तीय वर्ष 2025-26 तक जलवायु-लचीला उच्च-स्टार्च मक्का संकर के लिए अनुसंधान बढ़ाने को भी कहा गया है, जिसके लिए ₹5.32 करोड़ निर्धारित किए गए हैं। दस्तावेजों के अनुसार, साइलेज या मक्का फ़ीड मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने के लिए अन्य ₹3.73 करोड़ अलग रखे गए हैं।
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (primary agricultural cooperative societies) के अलावा दो राज्य समर्थित खाद्य एजेंसियां, NAFED और NCCF, किसानों से मक्का खरीदने में शामिल होंगी। खाद्य सचिव चोपड़ा ने कहा कि, खरीदा गया मक्का डिस्टिलरीज को एमएसपी प्लस बाजार करों पर पेश किया जाएगा, जबकि सभी आकस्मिक लागत खाद्य विभाग द्वारा वहन की जाएगी। 2023-24 के लिए मक्के की न्यूनतम दर ₹2,090 प्रति क्विंटल है।