संजीवनी चीनी मिल अगर नए पेराई सत्र में संचालन नहीं किया गया तो किसानों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित होगी: पूर्व मंत्री

पोंडा: गोवा की एकलौती संजीवनी चीनी मिल को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। क्या चीनी मिल चलेगी या बंद होगी इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है।

हेराल्ड गोवा डॉट इन में प्रकशित खबर के मुताबिक, पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री और विधायक सुदीन ढवलीकर ने कहा कि, 1,500 गन्ना किसानों के हितों की रक्षा के लिए, संजीवनी चीनी मिल को चलाने के लिए सालाना 5 करोड़ रुपये खर्च करना सरकार के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। मुझे दुख है कि सरकार ने अभी भी इस मुद्दे पर कोई समाधान नहीं निकाला है। उन्होंने कहा की, 2020-21 में अगर चीनी मिल के पेराई सत्र संचालन नहीं किया गया तो किसानों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित होगी।

उन्होंने आगे कहा, गोवा के पहले मुख्यमंत्री भाऊसाहेब बान्दोडकर ने गोअन किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए चीनी मिल की स्थापना की और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत को छोड़कर, मेरे सहित सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों और सहकारिता मंत्रियों ने चीनी के सुचारू संचालन के लिए योगदान दिया है। 2012 में भी, तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर के सहयोग से सहकारिता मंत्री ने चीनी मिल के पुनरुद्धार के लिए 5 करोड़ रुपये के बजट का प्रबंधन किया था। लेकिन दुख की बात है कि जो विधायक खुद को किसानों का पुत्र कहते हैं, वे किसानों की कठिनाइयों को महसूस नहीं कर पाए।

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