नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, भारत की सौर, पवन और बायोगैस क्षमता निजी क्षेत्र के लिए सोने की खान से कम नहीं है। उन्होंने कहा, इन नवीकरणीय स्रोतों में बड़ी संख्या में हरित रोजगार सृजित करने की विशाल क्षमता है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बजट के बाद के पहले वेबिनार को संबोधित किया, इस वेबिनार में विशेष रूप से हरित विकास पर ध्यान केंद्रित किया। यह हाल के केंद्रीय बजट में घोषित पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विचारों और सुझावों पर विचार विमर्श के लिए सरकार द्वारा आयोजित किए जा रहे बजट के बाद के 12 वेबिनार की श्रृंखला में से पहला है।
केंद्रीय बजट में हरित हाइड्रोजन मिशन, ऊर्जा संक्रमण, ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं, नवीकरणीय ऊर्जा विकास, हरित ऋण कार्यक्रम, पीएम-प्राणम, गोबरधन योजना, भारतीय प्राकृतिक खेती जैव-इनपुट संसाधन केंद्र, मिष्टी, अमृत धरोहर, तटीय नौवहन और वाहन प्रतिस्थापन आदि विभिन्न क्षेत्रों और मंत्रालयों में फैली कई परियोजनाओं और पहलों की परिकल्पना की गई है।
मोदी ने कहा, हमें बजट नीतियों को लागू करने के लिए सामूहिक रूप से और तेजी से काम करने की जरूरत है।भारत की वाहन स्क्रैपिंग नीति भारत की हरित विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम तीन लाख से अधिक वाहनों को स्क्रैप करने जा रहे हैं। यह बजट भारत के भविष्य की सुरक्षा का अवसर है। मोदी ने कहा कि, 2023-24 का केंद्रीय बजट भारत को वैश्विक हरित ऊर्जा बाजार में अग्रणी खिलाड़ी बनने में मदद करने में महत्वपूर्ण होगा।उन्होंने कहा, हरित विकास को लेकर इस साल के बजट में किए गए प्रावधान एक तरह से हमारी आने वाली पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य की आधारशिला हैं।
इस बीच, भारत ने E20 ईंधन का चरणबद्ध रोलआउट शुरू किया। 20 प्रतिशत एथेनॉल और 80 प्रतिशत जीवाश्म आधारित ईंधन का मिश्रण E20 ईंधन है।भारत ने 2013-14 में पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण को 1.53 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022 में 10.17 प्रतिशत कर दिया है और 2030 से पहले के 2025-26 तक 20 प्रतिशत हासिल करने के अपने लक्ष्य को भी आगे बढ़ाया है।
हरित उर्जा धीरे-धीरे औद्योगिक, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देगा, साथ ही आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी आएगी। भारत आयात के माध्यम से अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पूरा करता है, और आयातित ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए स्वदेशी स्रोतों में विविधता लाने को एक अवसर के रूप में देखा जाता है।भारत का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना है।भारत 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्ध है।