मैसूर: जिले में रासायनिक मुक्त गुड़ की मांग में बढ़ोतरी हुई है। जिसके चलते यहाँ जैविक गन्ने गन्ने में भी वृद्धि देखि जा रही है।
मैसूर जिले में गन्ने की खेती 17,130 हेक्टेयर भूमि और चामराजनगर जिले में 7,127 हेक्टेयर भूमि में फैली हुई है। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, उनमें से जैविक गन्ने की खेती दोनों जिलों में गन्ने की खेती के कुल क्षेत्रफल का 1-2 प्रतिशत है।
उत्पादकों के अनुसार, जैविक गुड़ के उत्पादन की लागत भी बहुत कम है क्योंकि उत्पादक स्थानीय रूप से उपलब्ध कैल्शियम युक्त चूना पत्थर और अन्य जैविक उत्पादों का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि, सफेद गुड़ उत्पादक कैल्शियम कार्बोनेट और सोडियम बाइकार्बोनेट का उपयोग अन्य रसायनों के बीच वजन बढ़ाने और इसे पॉलिश करने के लिए गुड़ को संसाधित करने के लिए करते हैं। राज्य गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुरबुर शांता कुमार ने टीओआई को बताया, केंद्र और राज्य सरकार दोनों को प्रोत्साहन की घोषणा करके उत्पादकों को जैविक गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।