लखनऊ, 26 अगस्त: 2019 में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद केन्द्र सरकार ने देश में गन्ना किसानों और चीनी मिलों के लोक हित के निर्णयों को लेकर दिशा निर्देश जारी किए है। इसके लिए गन्ना उत्पादक राज्यो में चीनी मिलों को समय पर गन्ना पैराई सत्र शुरु करने की नीति पर अमल करने के अलावा इस दौरान किसानों को आने वाली समस्याओं के त्वरित निराकरण के शासनादेश जारी किये है। गन्ना किसानों और चीनी मिलों के मसलों को प्राथमिकता देने के क्रम में देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार भी तेज़ी से काम कर रही है। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए किसानों पर सरकार का ख़ास ध्यान है। सरकार गन्ना रोपाई से लेकर चीनी बिक्री तक के मैकेनिजम को समयानुकूल अपग्रेड कर रही है। किसानों के गन्ना रोपाई के समय अच्छी रोपण सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ईंख की फ़सल में होने वाले रोगों के नियंत्रण के लिए कीटनाशक प्रबंध कराने जैसे कई निर्णय उठाये है। साथ ही गर्मी के मौसम में कम पानी में बेहतर जल प्रबंधन कर गन्ने की अच्छी फ़सल लेने के लिए भी किसानों को जागरुक करने का काम किया गया है। किसान हितैषी नीति के तहत गन्ना पैराई के लिए सभी जनपद गन्ना अधिकारियों और चीनी मिलों को निर्देशित किया जा रहा है की मिलों में तय समय में काम शुरु किए जाए।
प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि सूबे में चीनी मिलों को पैराई का काम अक्तूबर माह से शुरु करने के लिए अधिसूचित किया जा चुका है। मंत्री ने कहा कि चीनी मिलों को सभी तरह की कमियों की पूर्ति कर मशीनों की रिपेयरिंग करने और सर्विस अपडेट करने के लिए शासनादेश दिए गए है ताकि गन्ना पैराई में दिक्कत न हो और किसानों को मिलों में इन्तज़ार न करना पड़े। मंत्री ने कहा कि गन्ना किसानों को सहूलियत देने और चीनी मिलों के कार्यक्रम का तय शेड्यूल बना कर गन्ना पैराई सत्रारंभ हो रहा है। किसानों के गन्ने की खेप चीनी मिल में आते ही उनके बकाया का तुरंत भुगतान हो जाए इसके लिए मिलों को पहले से निर्देशित किया गया है। गन्ना किसानों को पर्ची में दिक्कत न आए इसके लिए भी पूर्व व्यवस्था निर्धारित करने के निर्देश है। बागपत के गन्ना अधिकारी सुशील कुमार ने कहा कि इस बार गन्ना रोपाई देर से हुई है और मानसून देरी से आने के कारण गन्ना पकने में समय लगेगा। कमोबेस ये स्थिति कई जिलों में रहेगी। इससे गन्ना पैराई सत्र के लम्बे चलने के साथ किसानों का मिलों में आने का समय भी अनिश्चिता रहेगी।
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