गुजरात: चार महीने की बारिश से कृषि क्षेत्र पर संकट के बादल, धान और गन्ना सबसे ज्यादा प्रभावित फसलें

सूरत: भारी बारिश के कारण हजारों किसान और खेत मजदूर नुकसान का सामना कर रहे हैं। किसान नेताओं ने मौजूदा स्थिति को दक्षिण गुजरात में “लीलो दुकाल” (हरा सूखा) बताया है। किसानों का कहना है कि, पिछले चार महीनों से भारी बारिश का दौर जारी है और कुछ इलाकों में ऐसा मौसम जारी रहने की संभावना है। सबसे ज्यादा प्रभावित फसलें धान और गन्ना हैं, जो आमतौर पर दक्षिण गुजरात में उगाई जाती हैं।

अनुमान के अनुसार, दक्षिण गुजरात में करीब 1.80 लाख हेक्टेयर में धान और 1.20 लाख हेक्टेयर में गन्ना उगाया जाता है। सब्जियों, नकदी फसलों और बाजरा की खेती भी प्रभावित हुई है। किसान जयेश पटेल ने कहा, बारिश 22 जून को शुरू हुई थी और चार महीने बाद भी जारी है। दक्षिण गुजरात के कई इलाकों में फसलों को नुकसान हुआ है और यह ‘लीलो दुकाल’ जैसा है। पटेल के अनुसार, करीब 20,000 हेक्टेयर में धान की फसल तैयार थी, लेकिन सूरत, वलसाड, नवसारी, तापी, भरूच और डांग में बारिश के कारण फसल बर्बाद हो गई। किसानों के नेता पटेल ने कहा, करीब 1.20 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई थी और यह कटाई के लिए तैयार है, लेकिन खेतों में पानी जमा होने के कारण फसल की कटाई में देरी हुई। करीब 20,000 हेक्टेयर में नए सिरे से गन्ने की खेती की गई थी, जिसमें से करीब 6,000 हेक्टेयर बारिश के कारण बर्बाद हो गई।

पटेल ने कहा, कृषि विभाग की करीब 40 टीमें दक्षिण गुजरात में सर्वेक्षण कर रही हैं। उनके आकलन के आधार पर राहत उपायों की घोषणा की जाएगी। गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव दर्शन नाइक ने कहा कि भारी बारिश के कारण दक्षिण गुजरात के किसानों को करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। नाइक ने कहा, सबसे ज्यादा प्रभावित धान और गन्ना किसान हैं, क्योंकि ये फ़सलें पूरे दक्षिण गुजरात में उगाई जाती हैं। सरकार को नुकसान का आकलन जल्दी से जल्दी करना चाहिए और राहत उपायों की घोषणा करनी चाहिए। नाइक ने कहा कि, सब्जियां और नकदी फसल उगाने वाले किसानों को भी नुकसान हुआ है। नाइक ने कहा, प्रति बीघा, गन्ने में किसानों का निवेश लगभग 17,000 रुपये है, जबकि धान के लिए यह लगभग 20,000 रुपये है। सरकार फसलों को हुए नुकसान की गणना करते समय बारिश के अनुपात पर भी विचार करती है। नाइक ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखकर प्रभावित किसानों के लिए राहत उपायों की मांग की।

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