हापुड़, उत्तर प्रदेश: गन्ना विभाग, चीनी मिलें किसानों को को-0238 प्रजाति की जगह अन्य प्रजातियों का गन्ना बुआई करने की सलाह दे रहे है। कई मिलें खुद किसानों को नई प्रजाती के बीज मुहैया करा रही है, फिर भी कई किसान नई प्रजातियों के उत्पादन को लेकर असमंजस की स्थिति में है। जिसके कारण गन्ना विभाग और विशेषज्ञों के अपील के बावजूद नई प्रजाती के गन्ने का क्षेत्रफल नही बढ़ पा रहा है।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक, हापुड़ क्षेत्र में जिन किसानों ने कुछ नई प्रजातियों को बोया है, उनकी पेड़ी को लेकर अब किसान संशय में हैं। क्योंकि पेड़ी सही तरीके से अंकुरित नहीं हो रही।
‘अमर उजाला’ में प्रकाशित खबर के अनुसार, गन्ना उत्पादन किसान शिवकुमार त्यागी, नरेंद्र सहवाग, रजनीश त्यागी, धनवीर शास्त्री ने बताया कि खेत में पिछले साल ही को-15023 प्रजाति का गन्ना बोया था। पौधा गन्ना ठीक हुआ लेकिन, इसमें जंगली जानवरों का नुकसान इतना अधिक है कि 20 फीसदी तक गन्ने को चौपट कर दिया है। इस प्रजाति का गन्ना बेहद फोका और रिकवरी अधिक है। इस प्रजाति की पेड़ी उस तरह नहीं चल रही, जिस तरह को-0238 चलती थी।
उन्होंने बताया कि को-0118 प्रजाति के पौधे गन्ने का उत्पादन ठीक है, कोलक-14201 और कोषा 13235 प्रजाति का गन्ना पहली बार बो रहे हैं, जिसका परिणाम अगले कुछ सालों में आएगा। हालांकि कुछ किसानों ने इन दो प्रजातियों का गन्ना बोया है, जिसमें 13235 का उत्पादन अच्छा है। जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन खान ने कहा कि, गन्ने की को-0238 प्रजाति में काफी रोग लगने लगा है। इसे विस्थापित करने के लिए दूसरे प्रजातियों को प्राथमिकता दी जा रही है।