चंडीगढ़: गन्ना भुगतान का मुद्दा सिर्फ महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश तक ही सिमित नहीं है, इसको लेकर विवाद हरियाणा जैसे अन्य राज्य में भी दिखता हुआ नजर आ रहा है। राज्य सरकार ने चीनी मिलों को गन्ना भुगतान के मामलें में थोड़ी राहत दी है।
हरियाणा सरकार ने 10 सहकारी चीनी मिलों को 2020-21 पेराई सत्र के लिए गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के लिए 315 करोड़ रूपये की लोन राशि जारी की है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (सहकारिता) संजीव कौशल ने कहा कि ऋण के अलावा चीनी मिलों को 47 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी जारी की गई है।
इससे पहले, सहकारिता मंत्री डॉ बनवारी लाल ने 10 जुलाई तक गन्ना किसानों का बकाया चुकाने का वादा किया था। कौशल ने कहा कि, पानीपत सहकारी चीनी मिल को 34.50 करोड़ रुपये, रोहतक सहकारी चीनी मिल को 14.60 करोड़ रुपये, करनाल को 36 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। सहकारी चीनी मिल और सोनीपत सहकारी चीनी मिल को 33.30 करोड़ रूपये। शाहबाद सहकारी चीनी मिल को 32.70 करोड़ रुपये, जींद सहकारी चीनी मिल को 20.60 करोड़ रुपये, पलवल सहकारी चीनी मिल को 33.50 करोड़ रुपये, महम सहकारी चीनी मिल को 48 करोड़ रुपये, कैथल सहकारी चीनी मिल को 31.80 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। और गोहाना सहकारी चीनी मिल को 30 करोड़ रूपये का ऋण दिया गया है।
सरकार के इस कदम से चीनी मिलों सहित गन्ना किसानों को भी मदद मिलेगी। किसानों का दावा है की गन्ना भुगतान नहीं होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वही दूसरी ओर चीनी मिलों का कहना है की चीनी बिक्री अच्छी नहीं होने के कारण उन्हें भी आर्थिक समस्या से जूझना पडता है। सरकार द्वारा उठाये गए कदम गन्ना किसान सहित चीनी मिलों के लिए लाभकारी होगा।
राज्य सरकार भी यह सुनिश्चित करने में जुटी है की पेराई सत्र के दौरान गन्ना भुगतान के मामलें में किसी प्रकार का कोई विवाद ना हो।
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