करनाल : चीनी का उत्पादन बढ़ाने के लिए गन्ने की नई किस्मों पर संशोधन चल रहा है।नई किस्मों के इस्तेमाल से मिलें और किसानों की आय बढ़ने में मदद होगी। गन्ना विशेषज्ञ चीनी के अत्यधिक रिकवरी वाली गन्ने की किस्मों पर भी शोध कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि किसी किस्म से गन्ने की पैदावार तो बढ़ रही है मगर उस किस्म से चीनी का अपेक्षाकृत उत्पादन कम होता है तो इसे फायदे का सौदा नहीं कहा जा सकता।
‘अमर उजाला’ में प्रकाशित खबर के अनुसार, आईसीएआर के करनाल स्थित गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में आयोजित गन्ना कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने गन्ने की नई किस्मों के इस्तेमाल पर जोर दिया। गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर की निदेशक डॉ. जी. हेमाप्रभा ने बताया कि इस तरह की किस्मों पर देशभर के विभिन्न शोध संस्थानों पर काम चल रहा है। उनके अनुसार इस तरह की कुछेक किस्में तैयार हो चुकी हैं और ये किसानों तक भी पहुंच चुकी हैं। अब किसानों को इन किस्मों की ज्यादा से ज्यादा बिजाई के लिए प्रेरित करना है।
इस संदर्भ में सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान लखनऊ के सहयोग से एक प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ. हेमाप्रभा ने कहा कि, किसानों को ध्यान रखना होगा कि किसी एक किस्म का रकबा 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, अन्यथा बीमारी आने की स्थिति में चीनी मिलों व किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। देश के कुल गन्ना क्षेत्रफल के 75.8 प्रतिशत क्षेत्र में गन्ना प्रजनन संस्थान द्वारा विकसित गन्ना प्रजातियों व 22 प्रतिशत क्षेत्र में राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों और गन्ना अनुसंधान से जुड़े अन्य संस्थानों द्वारा गन्ना प्रजनन संस्थान के सहयोग से विकसित प्रजातियों की खेती होती है। अतः देश में गन्ना खेती क्षेत्र के 97.8 प्रतिशत भूभाग में गन्ने की खेती में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संस्थान द्वारा विकसित प्रजातियों का ही योगदान है।