हरियाणा – गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बुवाई मशीनों पर सब्सिडी दी जाए: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा

चंडीगढ़ : हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने केंद्रीय बजट पूर्व बैठक में सुझाव देते हुए कहा कि, गन्ना फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को सब्सिडी पर बुवाई और कटाई मशीनें उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि धान की जगह गन्ना फसल उगाई जा सके। इससे पानी की भी बचत होगी। राणा ने यह बात केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ कृषि एवं बागवानी पर सुझाव बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कही।

उन्होंने कहा कि, बागवानी को बढ़ावा देने के लिए 40 से 50 हेक्टेयर के छोटे-छोटे क्लस्टर बनाने की जरूरत है। साथ ही बागवानी करने वाले किसानों के बगीचों की बाड़बंदी के लिए योजना बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि, बगीचों को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए अनुदान दिया जाना चाहिए। प्राकृतिक खेती की फसलों के लिए मंडियां बनाई जानी चाहिए, साथ ही फसल परीक्षण प्रयोगशालाएं भी बनाई जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि, हरियाणा हरित क्रांति में अग्रणी रहा है और प्राकृतिक खेती में भी अग्रणी रहेगा, जो कृषि क्षेत्र की वर्तमान मांग है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार करने में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में विनिर्देश और मानकीकरण की कमी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि वे केंद्रीय कृषि संस्थानों को यह निर्देश दें कि वे इस पर काम करें कि क्या प्राकृतिक खेती को उपज की गुणवत्ता या खेती की प्रक्रिया या दोनों के आधार पर प्रमाणित किया जाना है।

उन्होंने फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले प्रदूषण की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। राज्य ने खेत की आग को नियंत्रित करने में जबरदस्त प्रगति की है। राणा ने कहा कि, इस वर्ष, 40 प्रतिशत की और कमी आई है और हरियाणा में खेत की आग 700 से कम तक सीमित हो गई है। उन्होंने कहा कि 2018 से हरियाणा में बागवानी फसलों में भावांतर भरपाई योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत 21 फसलों को शामिल किया गया है। जब बाजार में फसलों के दाम लागत से कम होते थे, तो लागत मूल्य और फसल बिक्री के बीच के अंतर की भरपाई सरकार द्वारा किसानों को की जाती थी। उन्होंने दावा किया कि इस योजना के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि, ऐसी योजना राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू की जानी चाहिए और इसके लिए राज्य को आवश्यक बजट उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

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