यमुनानगर, हरियाणा : हाल ही में आई बाढ़ न केवल आम आदमी के लिए मुसीबत लेकर आई है, बल्कि यमुनानगर जिले के गन्ना उत्पादकों पर भी भारी असर डाला है। किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर धान-गेहूं की खेती की तुलना में गन्ने की खेती अधिक फायदेमंद और कम जोखिम भरी है, लेकिन हाल ही में आई बाढ़ ने इस फसल पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
किसान कमल ने कहा, हाल ही में आई बाढ़ ने मेरी 15 एकड़ गन्ने की फसल को नष्ट कर दिया है। जबकि 5 एकड़ में लगभग 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। अनिल कौशिक ने कहा, बाढ़ के पानी ने खड़ी फसल को डुबो दिया है और खेतों में रेत भर गई है। एक गुड़ इकाई के मालिक ने कहा, हमें अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में गन्ना नहीं मिल पाएगा। साथ ही गन्ने की कमी के कारण, इसकी दरें भी बढ़ जाएंगी, जिससे हमें अपनी गुड़ इकाइयां बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
सरस्वती शुगर मिल्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (गन्ना) डीपी सिंह ने कहा कि, मिल ने पेराई सत्र 2023-24 के लिए 175 लाख क्विंटल का लक्ष्य तय किया है। बीकेयू के जिला अध्यक्ष संजू गुंडियाना ने कहा, गन्ना किसानों को मुआवजा बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति एकड़ किया जाना चाहिए, क्योंकि उत्पादन लागत बहुत अधिक है।