नई दिल्ली: अमेरिका स्थित हनीवेल (Honeywell) कंपनी के भारत के अध्यक्ष आशीष मोदी ने कहा की, सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) के निर्माण के लिए भारत में तेल रिफाइनरी के साथ निवेश करने के साथ-साथ सहयोग करने के लिए हनीवेल तैयार है। केंद्र सरकार 2025 तक पारंपरिक जेट ईंधन के साथ 1% SAF के मिश्रण को अनिवार्य करने की योजना बना रही है।
SAF के स्थानीय उत्पादन की आवश्यकता में तेजी आई है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) की अंतर्राष्ट्रीय विमानन के लिए कार्बन ऑफसेटिंग और न्यूनीकरण योजना के तहत भारत स्थित एयरलाइनों को 2027 तक अंतरराष्ट्रीय परिचालन से उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन की भरपाई करने का आदेश दिया जाएगा।
फाइनेंसियल एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आशीष मोदी ने कहा, हम स्थायी विमानन ईंधन (सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल) में दृढ़ता से विश्वास करते हैं। भारत में फीडस्टॉक का एक विशाल बायोमास स्रोत है, और एथेनॉल बेहद सफल रहा है। हमारे SAF पोर्टफोलियो में एथेनॉल से जेट (ईटीजे) प्रसंस्करण तकनीक शामिल है, जो उत्पादकों को मकई-आधारित, सेल्युलोसिक या चीनी-आधारित एथेनॉल को SAF में बदलने की सुविधा देती है। मोदी ने कहा, भारत में कुछ ही खिलाड़ी है, हम उनके साथ बहुत करीब से काम करते हैं, और हम उनके साथ काम करना जारी रखेंगे। जैसे ही वे प्लांट लगाएंगे, हम SAF उत्पादन कर सकते है।
वर्तमान में, राज्य के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने भारत में SAF का उत्पादन करने के लिए प्राज इंडस्ट्रीज के साथ एक समझौता किया है।Honeywell इंडिया का मानना है कि, देश के एयरलाइन क्षेत्र की भारी मांग के कारण अधिक खिलाड़ी देश में SAF का उत्पादन शुरू कर सकते हैं। SAF उत्पादन के लिए Honeywell के पास अत्याधुनिक तकनीक है। हम निश्चित रूप से ‘मेक इन इंडिया’ को लेकर उत्साहित हैं और न केवल विमानन में, बल्कि अपने सभी पोर्टफोलियो में भी।
उन्होंने कहा, यूरोप ने एयरलाइनों के संचालन के लिए अपने मिश्रित लक्ष्यों में बड़े पैमाने पर कदम उठाया है, और चूंकि भारत-आधारित एयरलाइंस यूरोप के लिए उड़ान भरती हैं, इसलिए उन्हें अपने नियमों का अनुपालन करने की आवश्यकता है।