केंद्र सरकार से आर्थिक संकट में चीनी उद्योग को राहत मिलने के लिए 500 रुपये से 600 रुपये प्रति टन का मध्यम अवधि का कर्जा देने की मांग सरकार को चीनी संघ से की गयी। इस कर्जे के लिये पाँच साल की मुदत होनी चाहिये। पहले दो साल इन्स्टोलमेंट नही चाहिए और इस कर्ज का ब्याजभी सरकारही भरे। ऐसी मांग केंद्र सरकार को भेजे हुए प्रस्ताव में चीनी संघ से की गयी हैं।
इस साल केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को बढावा देने के लिये कुछ खास निर्णय लिये। इसका परिणाम पिछले सीज़न के शुरुवात के बाद चिनी का मूल्य कम हुआ। इस कारण चीनी मिलोंको भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा। चीनी का मूल्य और उसकी एफआरपी इस की सुलह में मिलोंको शॉर्ट मार्जिन हुआ। आर्थिक परिस्थिती अच्छी होने के बावजुद भी मिलोंको एफआरपी देने के लिये बडी दिक्कते आयी।
इस उलझन से रास्ता निकाल ने के लिये केंद्र सरकार ने चीनी संघ को बताया था। चीनी संघने पुरे विवेचन के बाद एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा। जिसमें ५०० से ६०० रुपये अनुदान कि महत्त्वपूर्ण मांग कि हैं । इसके अलावा बॅंकों की कर्ज मर्यादा बढाकर कर्ज को १२% ब्याज लेकर वो सरकारही भरे यह मांग भी प्रस्ताव में की गयी हैं।
सरकार के चीनी उद्योग के निर्णयों के बावजुद भी चीनी मिले शॉर्ट मार्जिन में हैं। मिलोंको इस आफत से बाहर निकालनेका यह एक रास्ता है तज्ज्ञ पी.जी.मेढे इन्होने बताया।