हरारे: ऑक्सफोर्ड बिजनेस ग्रुप (ओबीजी) द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि, दक्षिणी अफ्रीका महाद्वीप में गन्ना उत्पादन और पेराई के हिसाब से चीनी उद्योग के विकास की अपार संभावनाएं है। दक्षिणी अफ्रीका क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, पानी और ऊर्जा में सुधार के साथ चीनी उत्पादन में विस्तार करने की काफी क्षमता भी है। रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन के कार्यकारी निदेशक जोस ओरिव ने कहा कि, चीनी उत्पादन के मामले में दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्र काफी उन्नत है, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी इसकी पूरी क्षमता में बाधा डालती हैं।
अफ्रीका में सबसे बड़े चीनी उत्पादकों में ईस्वातिनी, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे हैं, ऑक्सफोर्ड बिजनेस ग्रुप (ओबीजी)वैश्विक शोध और परामर्श फर्म है जो मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका पर आर्थिक जानकारी प्रकाशित करती है। इस फर्म द्वारा शुगर इन अफ्रीका फोकस रिपोर्ट में यह बात निकलकरसामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, आधे अफ्रीकी देश गन्ने का उत्पादन करते हैं, जिनमें से सबसे बड़े दक्षिण अफ्रीका और मिस्र हैं; जबकि ईस्वातिनी, मोरक्को, युगांडा, सूडान और केन्या भी उल्लेखनीय गन्ना उत्पादक देश हैं।
दक्षिण अफ्रीका की कच्ची चीनी का उत्पादन 2020- 21 सीज़न में 2.1 मिलियन टन से थोड़ा बढ़कर 2021-22 में 2.2 मिलियन टन होने का अनुमान है। ईस्वातिनी में, 2021-22 सीज़न में उत्पादन 700,000 टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो मिलों में क्षमता में वृद्धि और उच्च गुणवत्ता वाली फसलों के उत्पादन के कारण पूर्व वर्ष के 690,000 टन से अधिक है। 2021-22 सीज़न में ज़िम्बाब्वे का उत्पादन 415,000 टन से अधिक होने का अनुमान है, जो पिछले सीज़न में 408,518 टन हुआ था।
ओबीजी रिपोर्ट में कहा गया है, जिम्बाब्वे ने 2019-20 सीज़न में 98,608 टन कच्ची चीनी और 16,303 टन रिफाइंड चीनी का निर्यात किया, जो पिछले सीज़न में क्रमशः 62,815 टन और 10,094 टन था। ओरिव ने कहा कि, अफ्रीकी चीनी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना है।