मुंबई : बारिश की कमी का असर महाराष्ट्र के बुआई पर हुआ है।आपको बता दे की, महाराष्ट्र के किसानों ने खरीफ बुआई के लिए उपलब्ध 142.02 लाख हेक्टेयर भूमि (गन्ने को छोड़कर) में से केवल 47 प्रतिशत पर बुआई पूरी की है। अब तक, किसानों ने 66.78 लाख हेक्टेयर को कवर किया है। राज्य कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, विलंबित मानसून से मूंग (हरा चना) और उड़द (काली मटकी) के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि किसान सोया, कपास और अरहर (अरहर) की खेती को प्राथमिकता देते हैं।
राज्य कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित बुआई रिपोर्ट से पता चला है कि, राज्य में गन्ने की खेती सहित खरीफ के लिए कुल 152.97 लाख हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है और 67.31 लाख हेक्टेयर (44 प्रतिशत) पर बुआई पूरी हो चुकी है। पिछले वर्ष इसी अवधि में 72.42% भूमि पर खरीफ की बुआई पूरी हो चुकी थी।
मानसून में देरी के कारण बुआई कार्य धीमा हो गया है।राज्य में 10 जुलाई तक औसत का केवल 72.3% वर्षा हुई है।केवल तीन जिलों में 100% से अधिक वर्षा हुई है, और किसान दूसरे दौर के बुआई के वित्तीय बोझ को लेकर चिंतित है।जुलाई में किसानों को हुए नुकसान की कोई रिपोर्ट अभी तक राज्य सरकार को नहीं मिली है।