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कोल्हापुर : चीनी मंडी
एकतरफ स्वाभिमानी शेतकरी संघठन एकमुश्त एफआरपी के लिए लड़ रही है, तो वही दूसरी तरफ चीनी मिलों के प्रबंधन पहली किश्त केवल 2,300 रुपये प्रति टन देने पर अड़े है । जिससे गन्ना किसान के लिए नहीं निकाला कोई समाधान । मिलों की इस रवैये के खिलाफ राज्य के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड ने एफआरपी भुगतान बकाया रखनेवाली मिलों की चीनी जब्त करने का फैसला लिया है। इससे राज्य में माहोल काफी तनावपूर्ण बना हुआ है ।
नवंबर में 2,300 रुपये की समान राशि का भुगतान करने का निर्णय मंगलवार को आयोजित चीनी मिलों की बैठक में लिया गया । बैठक में यह भी मांग की गई कि, सरकार को एकमुश्त एफआरपी भुगतान के लिए चीनी मिलों की अआर्थिक सहायता करनी चाहिए, नही तो चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 2900 रूपये प्रति क्विंटल से बढाकर 3,400 रुपये करना चाहिए।
मिलों द्वारा नवंबर में पहली किश्त 2,300 रुपये प्रति टन किसानों के खतों पर जमा किया गया था। उसके बाद अब अगले दो दिनों में 2,300 रुपये प्रति टन हिसाब से बाकि किसानों की राशि जमा की जाएगी। इस सीज़न में, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन अकेला एकमुश्त एफआरपी पर दृढ़ है; मिलों की मानें तो बैंकों के कब्जे की चीनी की कम कीमत और घरेलू बाज़ार में कीमतों में गिरावट के चलते एकमुश्त एफआरपी देना संभव नहीं है।
राज्य के अन्य हिस्सों में, मिलों ने 70:30 सूत्र के अनुसार राशि जमा की है, स्वाभिमानी संगठन के प्रभाव के कारण, कोल्हापुर में नवंबर में 2,300 रुपये जमा करने के तुरंत बाद किसान और संघठन की प्रतिक्रिया तुरंत शुरू हुई। संगठन ने आंदोलन की चेतावनी दी थी। संगठन और मिलों के बीच बैठक के बाद, संगठन ने एफआरपी की एकमुश्त राशि के भुगतान पर सीजन जारी रखने की अनुमति दी।
इस पृष्ठभूमि पर, सोमवार को, स्वाभिमानी ने सुगर कमिश्नर के कार्यालय, पुणे में अकेला एफआरपी के लिए एक मार्च निकाला। चीनी मिलों को बेचने के लिए चीनी चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने चीनी को बेचने का लिखित आश्वासन दिया, जिसे एकमुश्त एफआरपी नहीं दी गई। तब तक, मंगलवार दोपहर को
कोल्हापुर में चीनी मिलों के अध्यक्ष और प्रबंधन की एक होटल में बैठक हुई । 27 दिसंबर की इस बैठक के अनुसार, पहली किश्त 2,300 रुपये प्रति टन के अनुसार चीनी की समान राशि जमा करने का निर्णय लिया गया । इस बैठक में विधायक हसन मुश्रीफ, पूर्व मंत्री प्रकाश आवाडे, राजेन्द्र पाटिल-यद्रवकर , ‘गुरुदत्त’ के माधवराव घाटगे, ‘राजाराम’ के अध्यक्ष हरिश चौगले, पी. जी. मेढ़े मौजूद थे ।
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