आयकर विभाग की टीडीएस से जुड़ी तलाशी में कर कटौती और जमा कराने में भारी डिफॉल्‍ट का खुलासा

आयकर विभाग के टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) प्रकोष्‍ठ ने अपनी एक बड़ी कामयाबी के तहत दिल्‍ली में एक प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर के मामले में 324 करोड़ रुपये के टीडीएस डिफॉल्‍ट (चूक) का खुलासा किया है। इस टेलीकॉम कंपनी ने 4,000 करोड़ रुपये के तकनीकी अनुबंधों पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194जे के तहत आवश्‍यक 10 प्रतिशत की स्रोत पर कर कटौती (टीडीसी) नहीं की थी। जांच पूरी हो जाने पर इस डिफॉल्‍ट राशि के और बढ़ जाने की संभावना है।

यह पाया गया कि शहर के अनेक अस्‍पताल टीडीएस और टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) मानकों का खुलेआम उल्‍लंघन कर रहे थे तथा आयकर विभाग को अपेक्षा से कम टैक्‍स अदा कर रहे थे। 2500 से भी अधिक के बिस्‍तरों (बेड) वाले प्रमुख अस्‍पताल के साथ-साथ 700 बिस्‍तरों वाले अस्‍पताल के यहां भी तलाशी ली गई। 2500 से भी अधिक के बिस्‍तरों (बेड) वाले अस्‍पताल में तलाशी के दौरान यह पाया गया कि यह अस्‍पताल निर्माण अनुबंधों पर किसी भी तरह का टीडीसी नहीं काट रहा था, जबकि वैधानिक दृष्टि से यह आवश्‍यक है। वहीं, 700 बिस्‍तरों के बेड वाला अस्‍पताल अपने यहां डॉक्‍टरों को दिए गए वेतन पर 30 प्रतिशत की लागू वर्तमान टीडीएस दर के बजाय केवल 10 प्रतिशत की दर से ही टैक्‍स की कटौती कर रहा था।

मार्च, 2020 के प्रथम सप्‍ताह में दिल्‍ली स्थित एक प्रमुख रियल एस्‍टेट कंपनी ग्रुप के यहां की गई टीडीएस तलाशी के दौरान विगत वर्षों के विश्‍वसनीय आंकड़ों का विश्‍लेषण करने के साथ-साथ समूह की विभिन्‍न कंपनियों के टीडीएस अनुपालन, उनके आईटीआर रिटर्न, टैक्‍स ऑडिटरों की रिपोर्टों एवं सीपीसी-टीडीएस द्वारा वास्‍तविक समय पर सृजित डेटा का भी विश्‍लेषण करने के बाद यह पाया गया कि टैक्‍स की कटौती करने वाले ने पूर्ववर्ती वर्षों में टैक्‍स तो पहले ही काट लिया था, लेकिन उसे सरकारी खाते में जमा नहीं किया था।

तलाशी के दौरान सत्‍यापन एवं विश्‍लेषण से बकाया टीडीएस देनदारी और उस पर देय ब्‍याज के बारे में पता चला, जो 214 करोड़ रुपये आंका गया है। टीडीएस डिफॉल्‍ट मुख्‍यत: बकाया ऋणों पर देय ब्‍याज की अदायगी से संबंधित है। इस रियल एस्‍टेट कंपनी ने भारी-भरकम कर्ज ले रखे थे जिस पर ब्‍याज अदायगी समय-समय पर होती रही। विभिन्‍न वित्त वर्षों के दौरान टीडीएस काटा तो गया, लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं कराया गया।

आयकर विभाग के टीडीएस प्रकोष्‍ठ द्वारा की गई एक अन्‍य तलाशी के दौरान एक प्रमुख तेल कंपनी के मामले में लगभग 3,200 करोड़ रुपये के टीडीएस डिफॉल्‍ट का पता लगा। इस डिफॉल्‍ट में क्रमश: अपेक्षा से कम टैक्‍स काटना और टैक्‍स बिल्‍कुल भी न काटना शामिल है। हाई-टेक तेल रिफाइनरियों की स्‍थापना एवं रखरखाव से जुड़ी तकनीकी सेवाओं के लिए शुल्‍क के भुगतान और पुनर्गैसीकरण की रासायनिक प्रक्रिया के साथ-साथ एलएनजी की ढुलाई के लिए भुगतान पर कई वर्षों तक अपेक्षा से कम टैक्‍स काटना अधिनियम की धारा 194जे से संबंधित थे।

(source: PIB)

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